क्यों हो रही है 'चिकन नेक' पर चिक-चिक? जानिए क्या है ‘Chicken Neck’ और भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

WD Feature Desk

शुक्रवार, 30 मई 2025 (14:12 IST)
what is chicken neck of india: भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। लेकिन इस क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ने वाला एक छोटा, संकरा भूभाग है, जिसे 'चिकन नेक' या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है। हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के एक विवादास्पद बयान ने इस रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। आखिर क्या है यह 'चिकन नेक' और भारत के लिए इसका इतना महत्व क्यों है? आइए, विस्तार से समझते हैं।

क्या है 'चिकन नेक'
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे लोकप्रिय रूप से 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है, पश्चिम बंगाल में स्थित भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र है। यह लगभग 60 किलोमीटर लंबा और कहीं-कहीं मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा एक संकीर्ण भूभाग है। इसकी भौगोलिक संरचना एक मुर्गी की गर्दन जैसी होने के कारण इसे यह नाम दिया गया है।

यह कॉरिडोर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों - असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम - को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र स्थलीय संपर्क मार्ग है। कल्पना कीजिए, अगर यह 'गर्दन' कट जाए, तो भारत के ये आठ महत्वपूर्ण राज्य मुख्य भूमि से पूरी तरह अलग-थलग पड़ सकते हैं।

'चिकन नेक' की रणनीतिक महत्व: भारत के लिए क्यों है अहम?
'चिकन नेक' का महत्व केवल उसकी भौगोलिक स्थिति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके कई रणनीतिक आयाम हैं:
1. अद्वितीय भौगोलिक स्थिति: यह कॉरिडोर भारत, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान की सीमाओं के बीच स्थित है। यह पूर्वोत्तर राज्यों का मुख्य भूमि से एकमात्र भूमि मार्ग है, जो उन्हें आवश्यक वस्तुओं, सैन्य आपूर्ति और लोगों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण बनाता है।
2. अत्यधिक सुरक्षा संवेदनशीलता: इसकी संकीर्णता इसे सैन्य और आतंकी हमलों के लिए एक आसान निशाना बनाती है। चीन से लगी सीमा पर बढ़ते तनाव और पूर्वोत्तर में अलगाववादी गतिविधियों के मद्देनजर, इस क्षेत्र की सुरक्षा भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। यदि यह कॉरिडोर किसी भी कारण से बाधित होता है, तो पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा और कनेक्टिविटी पर गंभीर संकट आ सकता है।
3. अटूट आर्थिक महत्व: यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर के व्यापार और कनेक्टिविटी का मुख्य मार्ग है। इस क्षेत्र से होने वाला अधिकांश व्यापार और आवाजाही इसी रास्ते से होती है। इसका बाधित होना न केवल पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था, बल्कि पूरे देश की आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

क्यों हो रही है Chiken Neck पर 'चिक चिक'?
हाल ही में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन की यात्रा की. इस यात्रा के दौरान उनका एक विवादास्पद बयान सामने आया है। मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को "लैंडलॉक्ड" (चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ) बताते हुए बयान दिया कि बांग्लादेश इन राज्यों के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र रास्ता हो सकता है। इस बयान को भारत के लिए सीधे तौर पर एक तरह की धमकी की तरह देखा गया। साथ ही इससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर की रणनीतिक संवेदनशीलता को एक बार फिर तूल दिया है।

मोहम्मद यूनुस के इस बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बांग्लादेश को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह भारत के 'चिकन नेक' पर हमला करता है, तो भारत बांग्लादेश के दो संवेदनशील भूभागों (उत्तरी बांग्लादेश और चटगांव क्षेत्र) पर जवाबी कार्रवाई करेगा।

बांग्लादेश के पास भी हैं 2 'चिकन नेक'

हिमंत बिस्व सरमा का बयान यह भी रेखांकित करता है कि बांग्लादेश के पास भी अपने कुछ संवेदनशील भूभाग हैं, जिन्हें 'चिकन नेक' की तरह देखा जा सकता है। उत्तरी बांग्लादेश और चटगांव क्षेत्र, जो बांग्लादेश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, भारत की जवाबी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं। यह भू-राजनीतिक शतरंज की बिसात पर दोनों देशों के बीच एक जटिल संतुलन को दर्शाता है।

'चिकन नेक' भारत के लिए सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय अखंडता का प्रतीक है। बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ती निकटता और ऐसे विवादास्पद बयानों के मद्देनजर, भारत को इस क्षेत्र की सुरक्षा और कनेक्टिविटी को और मजबूत करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह 'चिकन नेक' हमेशा सुरक्षित रहे, ताकि पूर्वोत्तर भारत देश के बाकी हिस्सों से मजबूती से जुड़ा रहे और किसी भी बाहरी चुनौती का सामना करने में सक्षम हो।
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