Countries that will shrink in Third World War: समय-समय पर तीसरे विश्व युद्ध की आहट सुनाई देती रहती है। मौजूदा वैश्विक तनाव, चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध हो, इज़रायल-ईरान संघर्ष हो, या फिर भारत-पाकिस्तान के बीच की तनातनी हो, अक्सर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या हम एक और बड़े युद्ध की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में यह विचार करना स्वाभाविक है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो किन देशों पर इसका सबसे गहरा प्रभाव पड़ेगा और उनका भौगोलिक आकार कैसे बदल सकता है। आइए जानते हैं कि अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है तो किन देशों के लिए यह सबसे खतरनाक साबित हो सकता है और किन देशों का क्षेत्रफल बदल जाएगा:
1. यूक्रेन: पिछले तीन सालों से रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध चल रहा है। रूस ने पहले ही यूक्रेन के कई बड़े हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया है। अगर तीसरा विश्व युद्ध शुरू होता है, तो रूस के पास यह एक बड़ा अवसर होगा कि वह पूरे यूक्रेन पर कब्ज़ा कर ले या फिर कुछ रणनीतिक हिस्सों को छोड़कर बाकी को अपने में मिला ले। यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति और रूस के साथ उसकी सीधी सीमा उसे किसी भी बड़े संघर्ष में सबसे संवेदनशील बनाती है।
2. पाकिस्तान: भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चला आ रहा तनाव किसी से छिपा नहीं है। अगर तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो यह तनाव एक बड़े संघर्ष में बदल सकता है। ऐसे में, पाकिस्तान के कुछ हिस्सों पर पड़ोसी देशों का प्रभाव बढ़ सकता है या संघर्ष के कारण उसके भौगोलिक स्वरूप में बदलाव आ सकता है। विशेषकर क्षेत्रीय अस्थिरता और अंदरूनी संघर्षों के कारण पाकिस्तान के लिए स्थिति और जटिल हो सकती है।
3. उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया का नाम भी उन देशों में शामिल है जिसे तीसरे विश्व युद्ध से नुकसान हो है। यह देश अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के निशाने पर है। यदि तीसरा विश्व युद्ध शुरू होते है तो ये देश उत्तर कोरिया पर निशाना साधेंगे जिससे उत्तर कोरिया के अस्तित्व पर संकट आ सकता है।
इन देशों का आकार क्यों होगा कम?
इन देशों का आकार कम होने के पीछे कई प्रमुख कारण हो सकते हैं: • सैन्य कब्ज़ा: युद्ध की स्थिति में, विजयी शक्तियाँ हारने वाले देशों के क्षेत्रों पर सैन्य कब्ज़ा कर सकती हैं, जैसा कि रूस ने यूक्रेन में किया है।
• क्षेत्रीय विभाजन: युद्ध के बाद, शांति समझौतों के तहत या बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप से इन देशों को अपने कुछ क्षेत्रों का विभाजन करना पड़ सकता है।
• अंतर्राष्ट्रीयकरण: कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण में रखा जा सकता है, जिससे उन देशों का सीधा नियंत्रण उन पर खत्म हो जाएगा।
• अलगाववादी आंदोलन: युद्ध की अराजकता का लाभ उठाकर विभिन्न अलगाववादी समूह सक्रिय हो सकते हैं और अपने लिए अलग क्षेत्रों की मांग कर सकते हैं, जिससे देश का विघटन हो सकता है।
• जनसंख्या का विस्थापन और नियंत्रण: बड़े पैमाने पर जनसंख्या का विस्थापन और उसके बाद नए क्षेत्रों में उनका बसना भी भौगोलिक बदलाव का एक कारण बन सकता है।
दुनिया के कई शक्तिशाली देश तीसरे विश्व युद्ध के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, ताकि अपने लोगों को बचा सकें और संभवतः दुनिया के कई देशों को नक्शे से खत्म कर सकें या उनका भौगोलिक स्वरूप बदल सकें। यह एक भयावह परिदृश्य है, लेकिन वैश्विक तनाव को देखते हुए इस पर विचार करना आवश्यक हो जाता है। हालांकि, यह उम्मीद की जानी चाहिए कि राजनयिक प्रयासों और समझदारी से काम लेकर मानवता इस विनाशकारी परिणाम से बच सके।