muslim countries with most powerful defence: दुनिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य में अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियां अक्सर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करती रहती हैं। लेकिन विश्व में कई ऐसे मुस्लिम-बहुल देश भी हैं, जिनकी सैन्य क्षमताएं कम नहीं आंकी जा सकतीं। इन देशों ने अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण सैन्य विकास किया है। अगर ये मुस्लिम देश साथ आ जाएं तो अमेरिका, रूस और चीन को कड़ा मुकाबला दे सकते हैं। आइए जानते हैं इन मुस्लिम देशों और इनकी सैन्य ताकत के बारे में विस्तार से।
1. तुर्किए
तुर्किए अपनी मजबूत और आधुनिक सेना के लिए जाना जाता है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, तुर्किए विश्व की 9वीं सबसे शक्तिशाली सेना है। तुर्किए की रक्षा उद्योग में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे यह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। तुर्किए के पास 3,55,200 सक्रिय सैनिक, 3,78,700 रिजर्व सैनिक, आर्मर्ड व्हीकल्स 55,104 और 286 रॉकेट लॉन्चर्स हैं। तुर्किए की नौसेना भी काफी मजबूत है। इनके पास 205 लड़ाकू विमान और 12 पनडुब्बियां भी हैं।साथ ही तुर्किए का रक्षा बजट लगभग 20 बिलियन डॉलर (2025 अनुमानित) हैं।
2. पाकिस्तान
पाकिस्तान की सेना दुनिया की सबसे बड़ी और अनुभवी सेनाओं में से एक है। पाकिस्तान ऐसा मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु हथियार और हैड्रोजन बम दोनों हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त प्रदान करता है। पाकिस्तान की बात करें तो सैन्य शक्ति के मामले में वह दुनिया में 12वें नंबर पर है। पाकिस्तान के पास एक विशाल सक्रिय सैन्य बल है, जिसमें लगभग 6.5 लाख से अधिक सैनिक हैं। इसके अलावा, इसकी वायु सेना और नौसेना भी अत्याधुनिक उपकरणों और अच्छी तरह प्रशिक्षित कर्मियों से लैस है। पाकिस्तान ने अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर भी जोर दिया है। पाकिस्तान की कुल सैन्य ताकत 17 लाख, लड़ाकू विमान 328, नौसैनिक जहाज 114, पनडुब्बियां 108, कुल टैंक 3700, बख्तरबंद वाहन पचास हजार से ज्यादा हैं।
2. सऊदी अरब
सऊदी अरब दुनिया के उन देशों में से एक है जो रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करते हैं। उसने पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों का एक विशाल जखीरा खरीदा है। इसमें उन्नत लड़ाकू विमान, मिसाइल रक्षा प्रणालियां और आधुनिक नौसैनिक पोत शामिल हैं। सऊदी सेना उच्च तकनीक और आधुनिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे यह क्षेत्र में एक शक्तिशाली बल बन जाती है। ग्लोबल फायरपावर की 2025 की लिस्ट में सऊदी अरब 24वें नंबर पर है। इनके कुल एक्टिव सैनिक 2,57,000, अर्धसैनिक बल 1,50,000, 840 टैंक, 19,040 सैन्य वाहन, सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी 332, 321 रॉकेट लॉन्चर, वायुसेना में 917 विमान और 283 लड़ाकू विमान हैं।
3. ईरान
ईरान अपनी सैन्य शक्ति के लिए काफी हद तक स्वदेशी उत्पादन और विकास पर निर्भर करता है। वर्षों के प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने अपनी मिसाइल प्रौद्योगिकी, ड्रोन क्षमता और साइबर युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय प्रगति की है। ईरान के पास 4071 लड़ाकू टैंक, 551 विमान, 101 युद्धपोत, 5.75 लाख सक्रिय सैनिक, 186 फाइटर जेट और 129 हेलीकॉप्टर हैं। ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताएं उसे क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती हैं।
4. मिस्र: मिस्र, सैन्य शक्ति के मामले में अरब देशों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। मुस्लिम देशों में रक्षा लिहाज से सबसे ताकतवर देशों में पांचवें नंबर पर मिस्र का नाम शामिल है।विश्व में यह 19वें स्थान पर आता है। यहां पर सेना की संख्या 3 लाख से ज्यादा है। मिस्र के पास एक विविध हथियार सूची है, जिसमें लड़ाकू विमान, टैंक और नौसैनिक पोत शामिल हैं।
5. अल्जीरिया
उत्तरी अफ्रीका में अल्जीरिया एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति है। ग्लोबल फायरपावर के लिहाज से अल्जीरिया इस्लामिक देशों में 7वें नंबर पर आता है, लेकिन दुनिया के 146 देशों में इसकी रैंक 26वीं है। इसने हाल के वर्षों में अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर भारी निवेश किया है, मुख्य रूप से रूस से उन्नत हथियार प्रणालियां खरीदी हैं। इसमें अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल रक्षा प्रणालियां और पनडुब्बियां शामिल हैं। अल्जीरिया की सेना अपने विशाल आकार और बढ़ती क्षमताओं के साथ, क्षेत्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती है। यहां 3.25 लाख एक्टिव सैनिक हैं।
यदि तुर्किए, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, मिस्र और अल्जीरिया जैसे प्रमुख मुस्लिम देश किसी बड़े सैन्य गठबंधन के लिए एक साथ आते हैं, तो यह एक अभूतपूर्व शक्ति का प्रदर्शन होगा। इन देशों के पास बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी, उन्नत हथियार प्रणालियां, महत्वपूर्ण रक्षा बजट और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थान हैं। हालांकि, ऐसा गठबंधन बनाना आसान नहीं होगा। इन देशों के बीच कई बार राजनीतिक और वैचारिक मतभेद रहे हैं। इसके बावजूद, अगर ये देश किसी साझा उद्देश्य के लिए एक साथ आते हैं, तो उनकी संयुक्त सैन्य शक्ति दुनिया की किसी भी अन्य शक्ति को कड़ी चुनौती दे सकती है और वैश्विक शक्ति संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। यह निश्चित रूप से अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर सकता है।
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