होली के गीत : रंग-बिरंगे सभी निराले...

रंग-भंग दोनों चढ़ता है, 
बाबूजी को होली में। 
उछल-कूद जमके करते हैं, 
बाबूजी तब होली में।


 
फाग सुनाते ढोल बजाते, 
बजता झांझ-मंजीरा। 
रंग-बिरंगे सभी निराले, 
लाल-हरा कुछ नीला-पीला।
 
शुभ होली की पहन के टोपी, 
मैं भी नाचूं टोली में। 
उछलकूद जमके करते हैं, 
बाबूजी तब होली में।
 
घर-घर जाके एक-दूजे से, 
अबीर लगा के गले मिलते हैं। 
बड़ों के पांव छोटे छूते हैं, 
नैन नशीले सभी दिखते हैं। 
 
भौजी ताक में मेरे रहती,
मैं छुप जाता खोली में। 
उछलकूद जमके करते हैं, 
बाबूजी तब होली में। 

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