कान फिल्म फेस्टिवल से प्रज्ञा मिश्रा की रिपोर्ट ....
सत्तरवें कान फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत फ्रेंच फिल्म 'इस्माइल'स घोस्ट' से हुई, फिल्म डायरेक्टर अर्नाल्ड डेप्लेशॉ की यह फिल्म एक साथ 5 कहानियों का मिश्रण है। एक तरफ है इस्माइल जो फिल्म डायरेक्टर है और इवान की कहानी पर फिल्म बना रहा है, लेकिन साथ ही साथ उसकी अपनी ज़िन्दगी में बहुत कुछ चल रहा है, उसकी बीवी जो 21 साल 8 महीने और 6 दिन बाद अचानक सामने आ जाती है, उसे नहीं पता वह क्यों गई थी, और क्यों लौट आई है, लेकिन उसके लौटने से सिल्विया (इस्माइल की मौजूदा गर्ल फ्रेंड ) इस्माइल को छोड़ कर चली गई है। वो सिल्विया जो कहती थी कि उसे शादीशुदा मर्द पसंद हैं, अब क्यों कार्लोटा (पहली पत्नी) के लौट आने से नाखुश है?
पूरी फिल्म में एक इमोशनल रोलर कोस्टर राइड का प्लान था डायरेक्टर का, लेकिन फिल्म इस कदर गड्मड्ड हुई है कि अंत में बस आप शुक्र ही अदा कर सकते हैं कि इसका अंत हुआ। हां एक्टिंग के मामले में तीनों कलाकार शानदार हैं, लेकिन बेहतरीन परफॉर्मन्स के बाद भी फिल्म का ख़तम होना ही भाता है।
आमतौर पर शुरूआती फिल्म ऐसी होती है जिसमें ज्यादा चमक दमक हो, उसे कलाकार सितारे हों और रेड कारपेट के लिए धमाकेदार ओपनिंग हो। ..लेकिन इस बार हर सेक्शन की शुरुआत फ्रेंच सिनेमा से ही हो रही है...वजह साफ़ तौर पर पता नहीं, हो सकता है फकत संयोग हो, और यह भी हो सकता है कि जान बूझ कर ऐसा किया गया हो। मुमकिन है कोई बड़ी फिल्म ओपनिंग का इंतज़ार नहीं कर रही हो, बहुत से किन्तु परन्तु हैं। लेकिन जो फेस्टिवल की शुरुआती फिल्म में होना चाहिए था वह इस फिल्म में कहीं भी नज़र नहीं आया।
रूस की फिल्म 'लवलेस' ने सही मायनों में कम्प्टीशन की शुरुआत की, और क्या खूब की। कहानी है 12 साल के अलेक्सी की, जिसके माता पिता तलाक लेने वाले हैं, लेकिन इस पूरे परिवार में प्यार की कितनी कमी है यही लवलेस में है। रोज़ाना के मां-बाप के झगड़ों और तनाव से तंग आकर अलेक्सी सुबह स्कूल के लिए निकलता तो हो लेकिन लौटता नहीं, मां बाप को भी अगले दिन दोपहर में पता चलता है कि वह 2 दिन से स्कूल नहीं गया है और फिर शुरू होती है अलेक्सी की खोज।
इस फिल्म में न सिर्फ रूस की ज़िन्दगी के बारे में पता चलता है जब बोरिस (अलेक्सी का पिता)अपने साथी से बात कर रहा होता है कि क्या कभी किसी का यहां तलाक हुआ है ?? और जवाब आता है कि ऐसा सुना तो नहीं लेकिन एक बार कोई नकली बीवी के साथ पार्टी में आ गया था और यह खबर बॉस को पता चल गई। उसके बाद से उसे देखा नहीं। परिवार में प्यार की कमी किस हद तक है कि न मां न पिता और न ही नानी कोई भी उसकी बात करता है जो गायब है। बल्कि सब अपनी ही सुनाने में लगे पड़े हैं। फिल्म देखते समय अनुराग कश्यप की फिल्म अग्ली की कई बार याद आती है।
टॉड हैन्स की फिल्म 'वंडर स्ट्रक' और हंगरी की फिल्म 'जुपिटर'स मून' भी कम्पटीशन सेक्शन में देखीं लेकिन कुछ कुछ हिस्सों में ही वो नज़र आया जो ऐसे ग्रुप की फिल्मों में होना चाहिए। बस इतना कहा जा सकता है कि फेस्टिवल का दूसरा दिन इतना निराश करेगा, उम्मीद नहीं थी।