कान फिल्म फेस्टिवल में फिल्म स्क्रीनिंग की शुरुआत में रेड कारपेट वाले सीढ़ियां आती हैं फिर फेस्टिवल का लोगो और फिर फिल्म शुरू होती है। इस साल फिल्म फेस्टिवल में इन सीढ़ियों पर फिल्म डायरेक्टर्स के नाम लिखे हुए हैं, फेस्टिवल के 70 साल पूरे होने के समारोह का पता पहले दिन इसी बात से ही पता चला। दुनिया भर के फिल्म डायरेक्टर्स में भारत से सिर्फ सत्यजीत रे का ही नाम इन सीढ़ियों पर दिखाई दिया।
2011 में अपनी फिल्म 'मेलनकोली' के साथ कान फिल्म फेस्टिवल में आए लार्स एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जर्मनी के बारे में पूछे गए सवाल पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा 'क्योंकि मैं यहूदी नहीं हूं और मैं हिटलर को समझ सकता हूं, मुझे यहूदियों से कोई परेशानी नहीं है बस इजराइल से है' ... इस बात पर प्रेस कॉन्फ़्रेस के तुरंत बाद ही फेस्टिवल ने साफ़ कर दिया कि लार्स 'पर्सोना नॉन ग्राटा' हैं जिसका सीधा मतलब है आप यहां आमंत्रित नहीं हैं। ... फेस्टिवल ने लार्स की फिल्म को कम्पटीशन में बरक़रार रखा।