पूजाघर आपके घर का वह स्थान होता है जहाँ आप ध्यान और पूजा इत्यादि करते हैं इसलिए यह स्थान वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया जाना चाहिए। पूजा में मन रमाने के लिए यह जरूरी है कि आपको सकारात्मक ऊर्जा मिले जो आपको ईश्वर से जोड़े। पूजाघर हमेशा उत्तर-पूर्वी दिशा में बनाना चाहिए। उत्तरी कोने में पूजाघर होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। आप पूर्वी, उत्तरी और उत्तरी-पूर्वी कोने में भी पूजाघर बना सकते हैं। यदि घर बहुत बड़ा है तो पूजाघर कमरे या हॉल के बीच में भी बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा सिर्फ प्रथम तल पर ही संभव है। दूसरी मंजिल या बेसमेंट में पूजा का स्थान कमरे के बीच में न रखें। सीढ़ियों के नीचे या तलघर में पूजाघर न बनाएँ।