दक्षिणी दिशा पृथ्वी का प्रतीक है। इसके अधिपति यमदेव हैं।
- यह दिशा स्त्रियों के लिए अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है।
- दक्षिणी-पूर्वी दिशा यानी आग्नेय कोण अग्नि तत्व की प्रतीक है। इसका अधिपति अग्नि देव को माना गया है। यह दिशा रसोईघर, व्यायामशाला या ईंधन के संग्रह करने के स्थान के लिए अत्यंत शुभ होती है।
- दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र यानी नैऋत्य कोण पृथ्वी तत्व का प्रतीक है। यह क्षेत्र अनंत देव या मेरूत देव के अधीन होता है। यहां शस्त्रागार तथा गोपनीय वस्तुओं के संग्रह के लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
- दक्षिण दिशा में निकास नालियां भू-स्वामी के लिए अशुभ तथा अनिष्टकारी होती हैं। गृह स्वामी को निर्धनता, राजभय तथा रोगों आदि समस्याओं से जूझना पड़ता है।
- शयनकक्ष में पलंग को दक्षिणी दीवार से लगा कर रखें। सोते समय सिरहाना उत्तर में या पूर्व में कदापि न रखें। सिरहाना उत्तर में या पूर्व में होने पर गृह स्वामी को शांति तथा समृद्धि की प्राप्ति नहीं होती है।