वॉल पेपर यानी दीवारें फूलों-सी मुस्कुराए

गुरुवार, 30 जून 2011 (12:32 IST)
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गुजरे जमाने का फैशन हो चुके वॉल पेपर्स नए रंग-रूप में एक बार फिर बाजार में आ गए हैं। विदेशों की तर्ज पर ये वॉल पेपर्स स्टिक ऑन, स्टिक ऑफ स्टाइल के हैं। यानी जब चाहे लगा लें, जब चाहें हटा सकते हैं। अगर देखकर मन ऊब जाए तो निकालने का भी गुंजाइश है। इंटीरियर डिजाइनर्स इन्हें सहूलियत भरा बता रहे हैं तो लगवाने वाले स्टाइलिश कहते हैं। अच्छी बात यह है कि ये वॉल पेपर्स ईको फ्रेंडली हैं।

थीम के मुताबिक डिजाइन - इन दिनों थीम बेस इंटीरियर का चलन है। लोग हर कमरे को उसकी उपयोगिता और उसमें रहने वाले के हिसाब से डिजाइन करवा रहे हैं। ऐसे में दीवार कैसी हो इस बात का भी पूरा खयाल रखना पड़ता है। चूंकि कुछ समय पहले तक ऐसे वॉल पेपर्स थे जो पूरी दीवार को मनचाहे रंग और डिजाइन से सजा देते थे। खूबसूरत तो होते थे लेकिन सालों साल उन्हें देखते रहने की मजबूरी भी थी। अब ट्रेंड बदला है। जिस जगह, जैसा डिजाइन चाहिए वह लगाने की सुविधा उपलब्ध है। नए तरीके के वॉल पेपर्स को हाई लाइटर्स की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

कल्पना हुई साकार - स्टिक ऑन, स्टिक ऑफ वॉल पेपर्स ने मेरी कल्पना को साकार करने में बड़ी मदद की है। अपने घर को इंटीरियर करवा रही आर्टिस्ट मीनाक्षी कहती हैं कि उन्होंने बच्चों के कमरे की दीवार को तितलियों से सजाया है तो स्टडी में आम के पत्ते लगवाए हैं।

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मीनाक्षी के घर का इंटीरियर कर रही डिजाइनर बबीता माथुर ने बताया मेरी क्लाइंट आर्टिस्ट है, उसका आर्टिस्ट दिमाग कुछ नया चाहता था, वह पूरी दीवार को रंग-बिरंगा नहीं करना चाहती थीं। आइडिया था दीवार के एक ही हिस्से पर काम हो। मीनाक्षी अब खुश हैं कि उसके घर के हर कमरे की हर दीवार कुछ अलग बोल रही है।

काम हुआ आसान - कल्पना और अर्पिता का काम इन नए वॉल पेपर्स ने कुछ आसान भी किया है। दीवार कैसी दिखेगी यह उत्सुकता अब ज्यादा देर नहीं रहती। डिजाइन देखते ही क्लाइंट समझ जाता है। काम में वक्त भी कुछ कम लगता है। शर्त यह है कि बेस परफेक्ट हो। हां, खर्च पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा होता है। पर मनचाहा डिजाइन मिलने की खुशी के आगे क्लाइंट इसे नजरअंदाज कर देता है।

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मेड इन फ्रांस, जर्मनी, इटली - वॉल पेपर्स के व्यवसायी दिनेश पांडे का कहना है कि मेट्रो सिटी में इंडियन और इंपोर्टेड दोनों तरह के ही वॉलपेपर्स चलन में हैं। जहां तक स्टिक ऑन, स्टिक ऑफ वॉलपेपर्स का सवाल है यह बिलकुल नया ट्रेंड है। सौदा महंगा भी है लेकिन फायदा यह है कि एक बार लगा लें, दोबारा और तीसरी बार भी जगह बदल कर लगा सकते हैं।

इसमें डिजाइन और कलर्स की वेरायटी इतनी होती है कि पसंद न आने का सवाल ही नहीं, लोग दीवारों को सजाने के लिए लाखों रुपए तक खर्च कर डालते हैं। व्यवसायी राजकमल भी इस बात से सहमत हैं कि नए तरह के वॉलपेपर्स वे लोगों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया है।

सिर्फ घर वाले ही नहीं फैशन स्टोर्स, ब्यूटी पॉर्लर, स्टूडियो, ब्यूटी सैलून, बुटिक आदि सेंटरों की दीवारों पर भी ये रंग-बिरंगे वॉल पेपर्स नजर आ रहे हैं।

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