प्रायः अल्पना एवं रंगोली बनाने में कलई का सफेद रंग, गेरू का लाल रंग, पीली मिट्टी का पीला रंग तथा अनेक रंग-बिरंगे गुलाल उपयोग में लिए जाते हैं। रंगों का चयन पारंपरिक रूप से त्योहार या पर्व पर आधारित भी रहता है।
FILE
करवा चौथ एवं अहोई अष्टमी पर अनेक रंगों को उपयोग में लिया जाता है तथा देवउठनी एकादशी पर फर्श पर कलाई रंग गेरू से अल्पना या मांडणे बनाए जाते हैं। आइए इनसे जुड़ी कुछ बातें जानें-
अल्पना तैयार करने के लिए गेरू, खड़िया तथा रंगोली के लिए सूखे रंगों जैसे गुलाल एवं अन्य सूखे रंगों का उपयोग किया जाता है। इनकी रचनाओं का आधार प्रायः ज्यामितीय आकृतियां होती हैं। अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से रंग भरे जाते हैं। राजस्थान में मांडने, गेरू व गोबर से लीपकर खड़िया के घोल, मेहंदी, काजल, हल्दी एवं रोली के प्रयोग द्वारा बनाए जाते हैं। कई जगह ये रंगीन पावडर, गुलाल, आटा आदि से भी बनाए जाते हैं।
जिस स्थान पर आप रंगोली बनाने जा रही हैं, वह समतल हो।
दरवाजे से एकदम सटकर रंगोली न बनाएं, इसे कुछ दूरी पर बनाएं, इससे आने-जाने वालों के पैर रंगोली पर नहीं पड़ेंगे।
यदि फर्श अच्छा है तो पहले फर्श को पीली मिट्टी से पोतकर चिकना कर लें।
FILE
यदि रंगोली जमीन पर बना रही हैं तो उस स्थान को अच्छी तरह धोकर सुखा लें।
यदि आप इस कला में दक्ष नहीं हैं तो पहले चॉक से डाट बनाते हुए डिजाइन बना लें। इसे रेखा द्वारा जोड़ दें। आपकी मनचाही आकृति तैयार हो जाएगी। फिर सफेद रंग से आकार दें।
आप चाहें तो कोन की सहायता से भी रंगोली में कलर भर सकती हैं।
रंग के अलावा आप चाहें तो फूलों की पत्तियां, कोई भी अनाज, चावल या साबूदाने का कलर किया हुआ पावडर या रेत, लकड़ी का बुरादा भरकर भी अपनी कल्पना से रंगोली को नया रूप दे सकती हैं।
आजकल बाजार में विभिन्न देवी-देवताओं व प्राकृतिक वस्तुओं की प्लास्टिक शीट पर उभरे हुए डॉट्स की तैयार रंगोली के नमूने भी मिलते हैं, जिसे सफेद कलर पर रखकर दूसरे रंग डॉट्स पर डालने से मिनटों में ही रंगोली बन जाती है। इसका उपयोग आप पूजा वाले स्थान पर कर सकती हैं।
FILE
अल्पना एवं रंगोली में रंगों के सामंजस्य का भी बड़ा महत्व है। प्रायः रंग वे ही भरने चाहिए, जिनसे इनमें उभार उत्पन्न हो और वे स्वाभाविक प्रतीत हों। यदि पृष्ठभूमि गहरे रंग की चित्रित की जाए तो फूल, पत्ती इत्यादि की रंगत हल्के रंग की होना चाहिए और यदि पृष्ठभूमि हल्के रंगों से बनाई जाए तो फूल-पत्तियों में इससे विपरीत गहरे रंग भरे जाने चाहिए।