अजवायन पाक का सेवन करना बल स्फूर्ति देने वाला, पौष्टिक एवं आमवात, गठिया, साइटिका जैसे वातजन्य रोगों को नष्ट करने वाला सिद्ध होता है। वातजन्य व्याधियों से ग्रस्त स्त्री-पुरुषों को सिर दर्द, जोड़ों का दर्द और कमर दर्द की शिकायत ज्यादातर होती है।
महिलाओं को भी प्रसव के बाद सूतिका संबंधी कारणों से शरीर में दर्द, हाथ पैरों में सड़पन, कमर में दर्द, ज्वर आदि और सूतिका रोग होने की शिकायत हो जाती है।
इस सब व्याधियों से बचने और उनका इलाज करने के लिए इस अजवायन पाक का सेवन करना हितकारी होता है। यह पाक स्वास्थ्य रक्षक भी है और रोगनाशक भी।
घटक द्रव्य : अजवायन 200 ग्राम, सिंघाड़ा, सफेद मुसली, सौंठ सतवा, असगन्ध नागौरी, कमरकस, खैर का गोंद सभी छह द्रव्य 50-50 ग्राम। कलौंजी, पीपलामूल, खरेंटी के बीज, सफेद जीरा 20-20 ग्राम। पीपल, दालचीनी, तेजपान, इलायची छोटी, जायफल और जावित्री सब 10-10 ग्राम, दूध 1 लीटर, घी, 250 ग्राम और शकर ढाई किलो।
निर्माण विधि : पहले अजवायन को साफ करके कूट-पीस लें। सिंघाड़ा, मुसली, सौंठ और असगन्ध को कूट-पीसकर मिलाकर रख दें। खैर के गोंद और कमरकस को मंदी आँच पर घी में तलकर अलग-अलग फूले हुए निकालकर कूट-पीसकर मिलाकर रख दें।
* कलौंजी आदि शेष द्रव्यों को एक साथ कूट-पीसकर छानकर मिला लें। दूध को कलईदार कढ़ाई या स्टील के बर्तन में डालकर उबालें और खूब गाढ़ा कर लें।
* अब इसमें सिंघाड़ा आदि चारों द्रव्यों का चूर्ण डालकर मावा बना लें। मावे को घी में अच्छी तरह सेक लें और उतारकर रख दें। शकर की डेढ़ तार की चासनी तैयार कर इसमें मावा मिला लें। फिर अजवायन, पिसी हुई और गोंद का चूर्ण मिलाकर नीचे उतार लें और शेष सब औषधियों का चूर्ण डालकर अच्छी तरह से मिला लें। एक बड़ी थाली में घी का हाथ लगाकर इसे फैलाकर डाल दें और बरफी जमने के लिए रख दें या लड्डू बाँध लें।
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सेवन विधि : 50 से 100 ग्राम या अपनी पाचन शक्ति के अनुकूल मात्रा में प्रातः खाकर ऊपर से मीठा गर्म दूध पी लें।
लाभ : यह पाक वातजन्य विकारों एवं रोगों को नष्ट कर स्त्री-पुरुषों के शरीर को पुष्ट, सुडौल और बलवान बनाता है। महिलाओं के प्रसूति रोग को दूर करने के लिए इस पाक का सेवन उत्तम है।
नोट: यूँ तो इस पाक को शीतकाल में लिया जाता है लेकिन कमजोर गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह से गर्मियों में भी दिया जा सकता है। बेहतर होगा कि सेवन से पूर्व योग्य चिकित्सक की सलाह लें।