खान-पान होते हैं मुँहासों के कारक

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-मधुसिं

उम्र, हारमोन्स में बदलाव तथा शारीरिक अड़चनें तो मुँहासों को न्योता देती ही हैं। आपका भोजन भी इस मामले में जलवा दिखा सकता है। खानपान में असंयमित होते ही आप मुँहासों के आक्रमण का शिकार बन सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार जिस्म में पित्त के जमा होने से कील-मुँहासे व झाइयाँ होती हैं। आयुर्वेद में पित्त का संबंध गर्म ऊर्जा से है। जब यह संतुलित होता है तो पाचन क्रिया सही रहती है। त्वचा में चमक रहती है और आवाज भी रौबदार रहती है। लेकिन जब पित्त असंतुलित होता है तो नतीजा मुँहासे, एसिडिटी, बवासीर जैसी बीमारियों के रूप में सामने आता है।

आदमी के जीवन में वह समय भी आता है जब शरीर में पित्त की मात्रा अधिक होती है। किशोरावस्था व जवानी में पित्त की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसी तरह गर्मियों व दोपहर में भी इसकी मात्रा बढ़ जाती है।

जवानी में पित्त की प्रतिक्रिया मुँहासों के रूप में सामने आती है। यह हारमोनल असंतुलन से भी हो सकता है या किसी दवा के साइड इफेक्ट से भी। वजह जो भी हो, पित्त को संतुलित करना बहुत आवश्यक है।

इसके तरीके इस तरह से हैं-

* बहुत सी जड़ी-बूटियाँ हैं जो जिस्म को डीटॉक्सीफाई करके करती हैं। जैसे करेले का जूस, नींबू, घींगवार का जूस, बेल का शरबत बिना शकर के इनका सेवन करें। मगर योग्य चिकित्सक की देखरेख में यह करें।

* बहुत से अनाज भी मुँहासे भगाने का काम करते हैं जैसे ब्राउन राइस, जौ आदि।

* वजन कम करने के लिए भी जौ अच्छा अनाज है। साथ ही इन दोनों अनाजों में आयरन, बी-कॉम्प्लेक्स व अन्य खनिज भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

* फलों में तरबूज, खरबूजा, सेब, मौसमी आदि सभी पित्त प्रकृति के लिए अच्छे हैं। मुँहासों को शरीर से दूर रखने के लिए आमतौर पर आप सभी फल ले सकते हैं लेकिन बेहतर होगा कि आम से बचें।

* सभी सब्जियाँ ठंडी प्रकृति की होती हैं। इसलिए शरीर को ठण्डा करने के लिए सभी सब्जियाँ खाई जा सकती हैं। इनसे मुँहासे भी साफ होते हैं। जहाँ तक सब्जियों के जूस का ताल्लुक है, तो लौकी का जूस, पेठा जूस और बंदगोभी का जूस पित्त प्रकृति के लिए बहुत अच्छे हैं।

* सही तरह से पकी हुई सभी दालें मुँहासों से राहत दिलाती हैं। लेकिन वे दालें नहीं खानी चाहिए जिनसे गैस या कब्ज की शिकायत होती है जैसे राजमा, सफेद चना आदि।

* नॉनवेज से बचें क्योंकि उनमें पित्त प्रकृति बहुत अधिक होती है।

* डेयरी प्रोडक्ट्स में हारमोनल कंटेंट अधिक होता है जो मानव के रक्त में आ जाता है इसलिए अगर आप मुँहासों को अधिक बढ़ाना नहीं चाहते, तो सभी डेयरी प्रोडक्ट्स से बचें जैसे पनीर, दही व दूध आदि।

* सभी रिफाइंड फूड व कोल्डड्रिंक्स से बचें।

* अचार से भी बचें, लेकिन चटनी खा सकते हैं।

* वैसे पानी से बढ़कर कोई चीज नहीं है। अगर आप दिन में कम से कम दो लीटर पानी पीते हैं, तो इससे बहुत सारी पित्त बाहर निकल जाती है और मुँहासे भी साफ हो जाते हैं लेकिन पानी खाने के तुरंत बाद न पिएँ।

* आयुर्वेद के अनुसार, जिस्म में अधिक पित्त होने से गुस्सा ज्यादा आता है और गुस्से से शरीर में जहरीले रसायन बनने लगते हैं जो मुँहासों के रूप में प्रकट होते हैं। इसलिए पित्त के साथ-साथ गुस्से को भी काबू में रखें।

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