गर्मी के मौसम में फूड पॉइजनिंग से, गलत खान-पान से या ज्यादा गरमी से उल्टियाँ होने लगती हैं। पित्त कुपित होने, पाचन क्रिया में बाधा पड़ने, दूषित पदार्थ का सेवन करने आदि कारणों से पेट का आहार वेगपूर्वक मुख मार्ग से बाहर निकलता है, इसे वमन या उलटी होना कहते हैं। गर्मी के मौसम में उलटी होने की स्थिति ज्यादा बनती है। तेज सिरदर्द के कारण भी उलटी होने की संभावना होती है।
चिकित्सा
* सोंठ, पिप्पल, काली मिर्च, सेंधा नमक, बिड नमक, और सज्जी खार, सब 10-10 ग्राम लेकर खूट-पीस लें और सबको मिलाकर शीशी में भर लें। इस चूर्ण को 2-2 रत्ती मात्रा में शहद में मिलाकर 3-3 घंटे से चाटना चाहिए।
* एक गिलास पानी में थोड़ा सा नींबू का रस और शकर घोल लें। इसे नीबू की शिकंजी कहते हैं। यह शिकंजी पीने से उलटी बंद हो जाती है।
* नीबू के छिलकों को छाया में सुखाकर जला लें और राख कर लें। इसे पीस-छानकर शीशी में भर लें। इस राख को 4 से 8 रत्ती मात्रा में शहद में मिलाकर 2-2 घंटे से चाटने या पानी के साथ फांकने से उलटी होना बंद हो जाता है।
* मोर पँख के नीले रंग के चाँद को काटकर जला लें और राख हो जाए तब पीसकर शीशी में भर लें। यह राख 2 रत्ती और छोटी इलायची के पिसे हुए दाने 2 रत्ती लेकर शहद में मिलाकर चाटने से उलटी होना बंद हो जाता है।
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* भुने हुए मूँग की दाल के काढ़े (आधा कप) में शहद व शकर डालकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है, यह काढ़ा दाह व दस्त में भी लाभप्रद है।
* धनिए का चूर्ण 3 ग्राम और शकर 12 ग्राम चावल के मांड में मिलाकर दिन में 3-4 बार रोगी को खिलाने से आराम मिलता है।
* अदरक व धनिए का रस 10-10 मि.ली. मिलाकर 2-3 बार पीने से उल्टी बंद हो जाती है। पुदीने के रस का सेवन भी फायदेमंद होता है।
* गुड़ के रस में शहद मिलाकर पीने से उल्टी का शमन होता है।