Chanakya Niti for Happy family: हर साल 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य होता है परिवार की अहमियत को समझाना और समाज में एकता, प्यार और स्थायित्व को बढ़ावा देना। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब रिश्तों में दूरी और संवाद में कमी देखने को मिल रही है, तब हमें प्राचीन विचारकों की ओर देखना चाहिए और उन्हीं में से एक हैं आचार्य चाणक्य।
चाणक्य सिर्फ राजनीति और कूटनीति के ज्ञाता ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने गृहस्थ जीवन, परिवार और रिश्तों को लेकर भी गहरी बातें कही थीं। चाणक्य नीति में ऐसे कई सूत्र मिलते हैं, जो आज भी हर परिवार को मजबूत बना सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे चाणक्य के विचार हमें परिवार में प्यार, अनुशासन और विश्वास बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
1. परिवार में विश्वास और संवाद सबसे बड़ा आधार है
चाणक्य कहते हैं, “अति विश्वासो वैरं दायते।”
चाणक्य कहते हैं कि किसी पर बहुत ज्यादा विश्वास भी हानिकारक हो सकता है, लेकिन परिवार में संवाद और संतुलित विश्वास आवश्यक होता है। किसी भी रिश्ते की नींव संवाद पर टिकी होती है। जब पति-पत्नी या माता-पिता और बच्चों के बीच खुलकर बातचीत होती है, तो समस्याएं स्वतः हल हो जाती हैं।
क्या करें: परिवार में हर दिन कुछ मिनट एक-दूसरे से बात करने का समय निकालें। बच्चों को सुनें, सिर्फ निर्देश न दें। जीवनसाथी के साथ हर बात को साझा करें, वित्तीय या भावनात्मक दोनों स्तर पर।
2. परिवार में अनुशासन हो, पर डर नहीं
“शिक्षयेत् पुत्रं धर्मेण, न च दण्डेन सर्वदा।” – चाणक्य
चाणक्य मानते हैं कि बच्चों को शिक्षा और संस्कार प्यार से दिए जाने चाहिए, दंड से नहीं। अगर घर में डर का माहौल होगा, तो बच्चे आगे चलकर या तो विद्रोही बनेंगे या डरपोक। ऐसे में जरूरी है कि अनुशासन हो, लेकिन उसमें सम्मान और प्रेम बना रहे।
क्या करें: बच्चों को समझाएं, डांटें नहीं। हर गलती पर सजा देने के बजाय उसे सीखने का मौका दें और ध्यान रखें कि अनुशासन नियमों से आए, डर से नहीं।
3. गृहस्थ जीवन में धैर्य सबसे बड़ा गुण है
“धैर्यं सर्वत्र साधनं” – चाणक्य
परिवार चलाना आसान नहीं होता। मतभेद, आर्थिक समस्याएं, काम का तनाव, ये सब जीवन का हिस्सा हैं। लेकिन इन सबसे निपटने के लिए सबसे जरूरी चीज होती है धैर्य। चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति धैर्य नहीं रख सकता, वह कभी सुखी परिवार नहीं चला सकता।
क्या करें: हर परिस्थिति में जल्दबाजी की बजाय सोच-समझकर प्रतिक्रिया दें। झगड़ों के समय चुप रहकर बाद में बात करें। किसी की बात बुरी लगे, तो तुरंत जवाब देने की बजाय थोड़ा रुकें।
4. परिवार में धन से ज्यादा सम्मान जरूरी
“यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, लज्जा शीलं तपो दमः।” – चाणक्य
चाणक्य कहते हैं कि सम्मान, संयम और शील ही परिवार को ऊंचा बनाते हैं, सिर्फ धन नहीं। आज कई परिवारों में पैसे तो हैं, लेकिन आपसी सम्मान नहीं। ऐसा घर कभी भी खुशहाल नहीं हो सकता।
क्या करें: परिवार के सभी सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करें। बड़ों के अनुभव को सुनें और छोटों को उचित दिशा दें। कभी किसी के काम को छोटा न समझें।
5. एकता और सहयोग से ही परिवार चलता है
“संघे शक्ति कलौ युगे।” – चाणक्य
कलियुग में यानी आज के समय में अकेले चलना मुश्किल है। चाणक्य कहते हैं कि परिवार की ताकत एकता में है। जब सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं, तब कोई भी संकट बड़ा नहीं लगता।
क्या करें: घर के काम में सब मिलकर सहयोग करें। मुश्किल वक्त में एक-दूसरे का सहारा बनें। किसी की गलती पर उसे अकेला महसूस न होने दें।
चाणक्य बताते हैं कि जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। और परिवार के रिश्ते निभाना सबसे बड़ा धर्म है। पति-पत्नी, माता-पिता और भाई-बहन का रिश्ता अगर ईमानदारी से निभाया जाए, तो जीवन सुखमय बन जाता है।
क्या करें: हर रिश्ते को समय और स्नेह दें। स्वार्थ से ऊपर उठकर रिश्ते निभाएं। जब कोई ग़लत हो, तो भी साथ खड़े रहें।
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