अंतराष्ट्रीय परिवार दिवस, जो हर साल 15 मई को मनाया जाता है, परिवारों के महत्व और समाज में उनकी भूमिका को रेखांकित करता है। भारत में 100 वर्ष पहले तक संयुक्त परिवार की संख्या अधिक थी परंतु अब यह कुछ गांवों में ही सिमटकर रह गए हैं। कुछ समाज तो ऐसे हैं जहां पर संयुक्त परिवार का चलन कभी का ही खत्म हो चला है। धर्म का महत्व- दो इंसानों की सोच एक नहीं हो सकती है इस सोच को एक करने के लिए जिस माध्यम की सबसे बड़ी भूमिका होती है वह है धर्म, प्रेम, संस्कृति और संस्कार। इन तीनों के खत्म होने से ही संयुक्त परिवार भी खत्म होने लगे हैं।
कुल का सम्मान जरूरी- कलह से कुल का नाश होता है। कुलिनता से कुल की वृद्धि। संयुक्त हिंदू परिवार का आधार है- कुल, कुल की परंपरा, कुल देवता, कुल देवी, कुल धर्म और कुल स्थान। धर्म के और भी कई केंद्र है जिन्हें समझकर उसका सम्मान करना चाहिए।
संयुक्त परिवार के रिश्ते- संयुक्त परिवार में पिता के माता-पिता को दादी और दादा कहते हैं। पिता के छोटे भाई को काका (चाचा), बड़े भाई को ताऊ कहते हैं। पिता की बहन को बुआ कहते हैं। काका की पत्नी को काकी, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं। ताऊ की पत्नी को ताई, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं। इसी तरह मझौले काका की पत्नी को काकी, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं।
हिंदू सनातन धर्म 'संयुक्त परिवार' को श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान मानता है। धर्मशास्त्र कहते हैं कि जो घर संयुक्त परिवार का पोषक नहीं है उसकी शांति और समृद्धि सिर्फ एक भ्रम है। घर है संयुक्त परिवार से। संयुक्त परिवार से घर में खुशहाली होती है। संयुक्त परिवार की रक्षा होती है सम्मान, संयम और सहयोग से। संयुक्त परिवार से संयुक्त उर्जा का जन्म होता है। संयुक्त उर्जा दुखों को खत्म करती है। ग्रंथियों को खोलती है। संयुक्त परिवार से बढ़कर कुटुम्ब। कुटुम्ब की भावना से सब तरह का दुख मिटता है। यही पितृयज्ञ भी है। परिवार के भी नियम है।
क्यों टूट रहे हैं संयुक्त परिवार?
आज के बदलते सामाजिक परिदृश्य में संयुक्त परिवार तेजी से टूट रहे हैं और उनकी जगह एकल परिवार लेते जा रहे हैं। पहले हिन्दुओं में एक कुटुंब व्यवस्था थी, लेकिन अब सबकुछ बिखर गया। हिंदुओं में सबसे ज्यादा संयुक्त परिवार टूट रहे हैं उसके कई कारण है उनमें से सबसे बड़ा कारण है गृह कलह, सास-बहु, पति-पत्नी के झगड़े, गरीबी और महत्वकांक्षा। इस सबके चलते जहां एकल परिवार बनते जा रहे हैं वहीं सबसे बड़ा ज्वलंत सवाल सामने आ रहा है- तलाक। कलह से कुल का नाश होता है। कुलिनता से कुल की वृद्धि।
वर्तमान में हिन्दू परिवार में 'अहंकार और ईर्ष्या' का स्तर बढ़ गया है जिससे परिवारों का निरंतर पतन हो रहा है। ईर्ष्या और पश्चमी सभ्यता की सेंध के कारण हिन्दुओं का ध्यान न्यूक्लियर फेमिली की ओर हो गया है, जोकि अनुचित है।