दरअसल, भारतीय समाज के लोकनृत्य, गान, भाषा और व्यंजन में कई राज छुपे हुए हैं। इनका संरक्षण किए जाने की जरूरत है। आप जिस भी क्षेत्र में रहते हैं, वहां की भाषा से प्रेम करें। वहां की भाषा के मुहावरे, लोकोक्ति, लोक-नृत्य, लोक-परंपरा, ज्ञान, व्यंजन आदि के बारे में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करें। वक्त के साथ यह सभी खत्म हो रहा है। निश्चित ही हमें अपनी राष्ट्र की भाषा और संस्कृति को भी समझना और अपनाना चाहिए। भारत की प्रत्येक भाषा का ज्ञान होना चाहिए लेकिन आपको अपनी स्थानीय भाषा, भूषा और भोजन को ज्यादा से ज्यादा प्रचलन में लाना चाहिए, क्योंकि इसी से आपकी पहचान है। भारत तभी भारत कहलाता है जबकि उसमें सभी तरह के रंग बिखरे हों।