देश की आजादी का जश्न 15 अगस्त। आजादी के इस उत्सव को पाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अपनी कुर्बानियां दीं। आज जब हम आजादी के 67वीं दहलीज पर खड़े हैं, नजारा बिलकुल अलग है। हर तरफ बाजारवादी शक्तियां हावी हो गई हैं।
चंद मिनटों में हमने सबकुछ पाने की हसरतें पाल ली हैं। मोबाईल और इंटरनेट में हमारी पूरी दुनिया शामिल हो गई है। फास्टफूड के जमाने में जहां सबकुछ फास्ट हो गया है। देश, दुनिया और समाज के मुदुदों पर रूक कर सोचने का किसी के पास वक्त नहीं हैं,इसका जिम्मा हमने चंद नेताओं और राजनीतिक पार्टियों को दे दिया है।
ऐसे वक्त में वह युवा जो इन सब के बीच पैदा हुए,जो इस देश के भविष्य हैं,कल जिनके हाथों में देश की बागडोर होगी,जिनका जीने का अंदाज औरों से बहुत अलग है,जो हर चीज अपनी स्टाइल से करना पसंद करते हैं।
आम लोगों की तरह इनके जीवन में भी होली, दीवाली, ईद,क्रिसमस,नए वर्ष और वेलेंटाइन डे जैसे हर दिन का एक खास महत्व है,लेकिन यह उसे एक खास तरीके से मनाते हैं। देश, दुनिया और समाज के सरोकारों के जुड़े मुद्दे पर भी यह अपनी बेबाक रॉय रखने के लिए जाने जाते हैं।
कुछ ऐसे ही युवाओं से हमने बात की 15 अगस्त को लेकर। कॉलेज जाने वाले इन युवाओं से हमने जानना चाहा कि 15 अगस्त के दिन देश के शहीदों को वह कैसे याद करते हैं और इस दिन को अपने अनूठे अंदाज में कैसे मनाते हैं।
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हमने पाया कि अपने स्वभाव के हिसाब से यहां भी युवाओं के जवाब निराले हैं। कुछ युवा जहां इस दिन को सिर्फ छुट्टियों की तरह मनाते हैं और दोस्तों के साथ बाहर जाकर मस्ती करना पसंद करते हैं,वहीं कुछ अपने घर पर रहकर फोन,फेसबुक और ट्वीटर के जरिये अपने दोस्तों को स्वतंत्रता दिवस की बधाइयां देते हैं।
स्कूल के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए तो कई युवा अपने स्कूल में या किसी और दूसरे स्कूल में पहुंच जाते हैं। हमें कई ऐसे युवा भी मिले जो अपनी मस्ती भरी दुनिया से दूर गरीबों और बेसहारों को मदद करते हुए इस दिन को गुजारते हैं।
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पूनम जोशी(एम.फिल)- (स्वतंत्रता दिवस के दिन ये गरीबों और बेसहारों के बीच जाकर उनकी मदद करती हैं।)
- बाकी के दिनों में भी मैं ऐसी कोशिश करती रहती हूं कि जब भी मौका मिले जरूरतमंद लोगों की मदद करूं। लेकिन 15 अगस्त के दिन पूरे दिन मैं यह काम जरूर करती हूं। मेरे लिए स्वतंत्रता दिवस मनाने और वतन पर मिटने वालों को श्रद्धांजलि देने का यही तरीका है।
राकेश(एम.फिल) - आजादी के इस महापर्व को मनाने के लिए कोई नया तरीका तो नहीं अपनाता हूं, केवल इस दिन मैं सुबह के दो घंटे मौन रहकर आजादी के उन परवानों को याद करता हूं।
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सागर कुमार(बीटेक)-
स्वतंत्रता दिवस मनाने का इनका अंदाज औरों से जुदा है। इस दिन यह अपने दोस्तों के साथ कहीं जाकर पार्टी मनाते हैं और फिर लौटते वक्त खाने का कुछ सामान सड़कों पर भटकने वाले बच्चे को बांट देते हैं।
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चंदन कुमार(बीटेक)-
15 अगस्त के दिन मैं अपने घर पर रहना ही पसंद करता हूं। सुबह उठकर सबसे पहले मैं अपने दोस्तों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूं फिर फेसबुक पर भी दोस्तों को बधाई देता हूं।
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15 अगस्त को मनाने का सौदामिनी मजूमदार(बीएएमसी) का तरीका औरों से जरा हटकर है। वह ग्रेजुएशन में पढ़ती हैं लेकिन अपने स्कूल को वह आज भी मिस करती हैं।
तभी तो स्वतंत्रता दिवस वाले दिन सुबह-सुबह उठकर तैयार होकर यह सीधे अपने स्कूल पहुंच जाती हैं और वहां के बच्चों के साथ कार्यक्रम में भाग लेती हैं और उसे सेलीब्रेट करती हैं।
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जेबा(बीएएमसी)-
मुझे छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलना,रंग बिरंगे कपड़ों में लिपटे उछलते-कूदते बच्चों को देखना,बहुत अच्छा लगता है।
इसलिए इसदिन मैं अपने घर के आसपास के किसी प्री स्कूल में जाकर इनके साथ मस्ती करती हूं। साथ ही अपने साथ-साथ उनके गाल पर भी तिरंगा बनाती हूं।
कानून की पढाई करने वाले शशिकेश कानून की भाषा में ही बात करते हैं।
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स्वतंत्रता के संग्राम को याद करते हुए शशिकेश कुमार(एलएलबी) कहते हैं कि आज हम कहां से कहां पहुंच गए हैं। लेकिन देश के आम आदमी की हालत आज भी बहुत अच्छी नहीं हुई है। हमें बोलने की आजादी मिली हुई है,फिर भी हम अपने हक की आवाज नहीं उठा पाते हैं। क्योंकि हमें कानून के बारे पता ही नहीं है,ऐसे लोगों को मैं जागरूक करना चाहता हूं। यह काम में पूरे साल करता रहता हूं और यही देश के शहीदों के प्रति मेरी सच्ची श्रद्धांजलि हैं।
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15 अगस्त के दिन निशी राजपूत(बीकॉम) कुछ खास नहीं करते लेकिन इनका कहना है कि आजादी के अमर शहीदों और स्वतंत्रता दिवस दिवस के प्रति मैं पूरी श्रद्धा रखता हूं।
इन्हें याद करने के लिए मुझे किसी एक खास दिन की जरूरत नहीं पड़ती।
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अभिजीत-(एमएएमसी) मानते हैं कि देश की स्वतंत्रता और शहीदों को याद करने के लिए हमें किसी खास दिन की जरूरत नहीं है।
वह हमेशा हमारे जेहन मे होते हैं और याद आते ही उनके नमन के लिए हमारा सिर झुक जाता है और सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
आज जब हम विश्व शक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ चुके हैं। पूरी दुनिया हमारे तरफ इस उम्मीद में नजरें गढ़ाए बैठी है कि एक दिन भारत पूरे विश्व को नई राह दिखाएगा। युवाओं के इस तरह के जवाब से नई उम्मीद जागती है।
यहां इनकी बातों से यह बात तो साफ हो गई है कि यह आज के आधुनिक युवा हैं,हर मामले में इनका अंदाज औरों से जुदा भले है लेकिन दिल में देश के प्रति सम्मान और जज्बात अब भी वही है। ( समाप्त)