तिरंगे के बाजार पर चीनी ड्रैगन का साया

भारत के बाजार में बढ़ता चीनी कारोबार का असर भारत की आजादी के प्रतीक चिन्हों पर भी दिखाई देने लगा है। इसका एक बड़ा उदाहरण है, हमारे देश के तिरंगे झंडे का चीनी हो जाना...। जी हां पढ़ने या सुनने में भले ही यह आपको बहुत अजीब लग रहा हो लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर हजारों-लाखों की संख्या में बाजार में बिकने वाले तिरंगे झंडे पर चीन की मुहर लगी हुई है, ये तिरंगे चीन से निर्यात किए जा रहे हैं। 

 
दिल्ली के सदर बाजार में झंडों का थोक कारोबार करने वाले एक विक्रेता ने बताया, कि दिल्ली में भी चीन से आने वाले ये तिरंगे काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। बाजार में उपलध तिरंगों का लगभग 30 से 40 प्रतिशत चीन से आयात होता है। उनका कहना है, कि ज्यादातार कार्पोरेट कार्यालय और बड़े संस्थानों द्वारा चीन आने वाले तिरंगे ही खरीदे जाते हैं। 
 
एक अन्य थोक दुकानदार ने बताया कि चीन से आयात होने वाले झंडों में न सिर्फ चीन का कपड़ा इस्तेमाल होता है, बल्कि इनकी कटाई और छपाई का काम भी चीन में ही होता है। आमतौर पर इन्हें देश में बने झंडों के मुकाबले ज्यादा पसंद किया जाता है। 
 
दुनिया के हर देश का झंडा बेचने वाले दीपक का कहना है, कि चीनी सूत के कपड़े पर रंग ज्यादा अच्छी तरह उभरता है और यह ज्यादा टिकाऊ भी होता है। यही कारण है कि कीमत अधि‍क होने के बावजूद लोग चीनी झंडा खरीदते हैं। 
 
हालांकि चीन से आने वाले तिरंगे का उपयोग करने के मामले में कई भारतीयों का कहना है, कि उन्हें इन तिरंगों के प्रयोग से कोई ऐतराज नहीं है। जैसे बाजार में उपलब्ध अन्य चीनी वस्तुओं को भी वे खरीदकर इस्तेमाल करते हैं, तिरंगा भी उसी तरह खरीदा जा सकता है।
 
गौरतलब कि चीन द्वारा भारतीय बाजार में कई चीजों को निर्यात किया जाता है, जिन्हें स्वदेशी विचारधारा के अनुसार कम से कम से न उपयोग करने की बात की जाती है, लेकिन बाजार में आसानी से उपलब्ध होने के कारण भारतीय खरीदार इन वस्तुओं का रूख करते हैं। त्योहारों के समय राखी, पिचकारी के साथ ही अन्य चीनी सामान बाजार में उपलब्ध होता है। उसी श्रृंखला में स्वतंत्रता दिवस पर चीन से भारी मात्रा में भारतीय तिरंगों को भी निर्यात किया जाता है। 

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