करो या मरो- महात्मा गांधी, अंग्रेजों भारत छोड़ो- महात्मा गांधी, स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है- बाल गंगाधर तिलक,जय जवान जय किसान- सरदार बल्लभ भाई पटेल, इंकलाब जिंदाबाद- भगत सिंह.... आजादी के परवानों/ मसीहाओं के ये चंद नारे उस वक्त दिए गए थे जब पूरा देश अंग्रेजों के चंगुल में जकड़ा हुआ था।
FILE
उस वक्त गुलामी की जंजीर से देश को आजाद कराने में इन नारों का बहुत बड़ा योगदान है। वक्त के हिसाब से यह नारे देश के लोगों को ललकारने,उनमें जोश भरने और आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए दिए गए थे। आज आजादी के इतने सालों के बाद वक्त,परिस्थितियां,हालात सबकुछ बदल चुका है।
इस बार जब हम 67वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं,हमने युवाओं से जानना चाहा कि आज 21वीं सदी में उनके हिसाब से देश के लिए उनका नारा क्या होगा? ऐसे में एक के बाद एक जो नारे हमारे सामने आए उनमें कुछ तो उनकी उम्र के हिसाब से मस्ती भरे थे,कुछ पुरानी फिल्मों के डॉयलाग थे,तो कुछ में नजर आया गुस्सा भी।
वहीं इन सबसे अलग कुछ ऐसे विचार भी हमारे सामने आए जो आधुनिकता के रंग में रंगे आज के युवाओं की देश-दुनिया के प्रति उनकी सोच, उनकी समझ,उनका नजरिया और गंभीरता को दर्शाता है। आइए कुछ ऐसे ही युवाओं की सोच से आपको रूबरू करवाते हैं.....
WD
मोनल अग्रवाल-
मास कम्यूनिकेशन में एम.फिल.कर रही मोनल अग्रवाल ने अपने लाईफस्टाइल से जुड़ा नारा दिया है। वह कहती हैं ...'enjoy life nonstop'...। इनका कहना है कि मैं खुद भी इसी हिसाब से जीती हूं और स्वतंत्रता के 67वें मौके पर भी देश के लोगों को मैं यहीं कहना चाहूंगी कि इस लाईन को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। इससे जीवन में खुशियां बनी रहेंगी।
WD
गोपाल कृष्ण तिवारी-
आजादी के इस पावन मौके पर बीटेक के छात्र गोपाल का नारा थोड़ा अलग है जो देश दुनिया के प्रति इनकी गंभीरता को दर्शाता है । इनका नारा है ...देश को आधुनिकता चाहिए पश्चिमीकरण नहीं...
WD
आशिक -
मॉस कॉम में पीएचडी कर रहे आशिक का नारा है... be sincere don't be serious for country.
WD
अभिषेक निगम- एमए के छात्र और खेल पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाने के इच्छुक अभिषेक इस मौके पर थोड़े भावुक होते हुए कहते हैं ...देश को चाहिए दूसरी आजादी...
WD
आरती मंडलोई-
एमफिल की यह छात्रा आए दिन देश में एक के बाद एक हो रहे भ्रष्टाचार,घूसखोरी और कालाधन जैसे मुद्दों से थोड़ी निराश हैं,इस मौके पर यह अपनी गुस्से का इजहार करते हुए कहती हैं ...बंद करो घुसखोरी और भ्रष्टाचार,सोने की इस चिड़िया को मत करो बर्बाद...।
WD
प्रियंका-
बीए की यह छात्रा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के लिए कोई संदेश देने के नाम पर पहले तो थोड़ा हिचकती हैं लेकिन बाद में थोड़े फनी और चुटीले अंदाज में जो नारा देती हैं वो हम सभी को हंसाने के लिए काफी है। वह कहती हैं... क्यों मरते हो यारों सनम के लिए। एक दुपट्टा ना देगी कफन के लिए। अरे मरना है तो मरो वतन के लिए। तिरंगा तो मिलेगा कफन के लिए..।
WD
अमित कुमार -
लॉ के छात्र अमित भी देश में चल रहे छपले घोटालों से थोड़े परेशान और उदास हैं। बातों बातों में यह थोड़े भावुक हो जाते हैं। इनका कहना है कि हम कहां थे,कहां आ गये और कहां जा रहे हैं मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आता।
अंग्रेजों के चंगुल से निकलने के बाद अब तक देश में कुछ अच्छी चीजें भी जरूर हुई हैं लेकिन आजादी के इतने सालों बाद जब अपने गौरवशाली अतीत में मैं झांकता हूं तो दिल में खयाल आता है कि मेरे सपनों का भारत ऐसा तो नहीं था। थोड़े शायराना होते हुए यह करते हैं...ये कहां आ गए हम,अंग्रेजों के चंगुल से निकल के...।
WD
प्रवीण-
कंप्यूटर साइंस के इस छात्र का नारा थोड़ा फिल्मी है। सन्नी देओल की फिल्म मां तुझे सलाम के डॉयलाग को दुहराते हुए ये कहते हैं कि अभी हाल में जिस तरह पूंछ में कायर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा धोखे से देश के सैनिकों की हत्या की गई है,मैं उन्हें एक चेतावनी देना चाहता हूं कि... दूध मागोंगे तो खीर देंगें, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे...।
WD
अभिजीत कुमार- ...the nation needs you ! you need to be awaken ! you are part of the world's biggest democracy... ! बीटेक के इस छात्र का यह नारा इनकी गंभीरता को दर्शाते हुए अपने आप में ही बहुत कुछ कह जाता है ।
67वें गणतंत्र के इस पावन मौके पर जब हर तरफ देश के आजादी का जश्न मनाने की तैयारी हो रही है,देश के उन वीर सपूतों, शहीदों और आजादी के परवानों को नमन किया जा रहा है,ऐसे मौके पर देश के इन भावी कर्णधारों के विचार और नारे खुद ही देश के प्रति इनके प्रेम और जज्बे को जाहिर करता है और बदलते भारत की उजली तस्वीर को हमारे सामने लाता है। इनके देश प्रेम और जज्बे को हमारा भी सलाम।