रोटतीज व्यंजन : गेहूं के आटे के लजीज रोट

जैन समाज में रोटतीज के दिन बनाया जाने वाला यह एक विशेष व्यंजन है, जो सभी घरों में रोटतीज (भाद्रपद शुक्ल तृतीया) के दिन बनाया जाता है। इस दिन रोट के साथ खासकर तुरई की सब्जी और चावल की खीर ही बनाई जाती है, जिसका जैन धर्म में बहुत महत्व है।

 
सामग्री : 
 
500 ग्राम गेहूं का मोटा पिसा हुआ आटा, 2 चम्मच अजवाइन, 2 बड़े चम्मच घी, नमक स्वादानुसार, गुनगुना पानी।
 
विधि :
 
सबसे पहले गेहूं के आटे को छान लें। तत्पश्चात उसमें नमक, अजवाइन और घी का मोयन देकर अच्छी तरह मिलाकर कड़ा आटा गूंथ लें। इसे गूंथने के बाद एकाध घंटा ढंककर रख दें। अब तैयार आटे की मोटी लोई बनाकर बिना पलोथन लगाए मोटे रोट (मोटी रोटी) बेल लें।
 
अब रोटी के किनारों पर हाथ से गुझिए की तरह डिजाइन बना दें। बाद में चम्मच या चाकू की सहायता से रोट के मध्य में चार-पांच जगह छेद कर दें। फिर इस रोट को तवे पर अधपके सेंक कर चूल्हे पर धीमी आंच में अच्छी तरह से सेंक लें। दोनों ओर से अच्छी तरह सेंकने के बाद ज्यादा घी लगाकर खीर, तुरई की सब्जी के साथ परोसें। 
 
- राजश्री कासलीवाल 
 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें