कहा से आया चिकनकारी का नाम?
चिकनकारी का मूल उद्भव उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को माना जाता है। दरअसल चिकनकारी शब्द एक टर्किश शब्द 'चिक' से लिया गया है जिसका अर्थ है छोटे-छोटे छेद करना। जाली, मुर्रे, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि चिकनकारी के 37 प्रकारों में से कुछ प्रमुख नाम हैं।
क्या है चिकनकारी का इतिहास?
चिकनकारी का इतिहास मुगल काल से शुरू होता है। यह कला मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां के दौर में भारत आई थी। भारत आने के बाद ये कला काफी प्रचलित हुई। पर सबसे पहले चिकनकारी का काम ईरान में शुरू हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि ईरान में झीलें बहुत थे और उन्हें स्वान को देखकर चिकनकारी का कांसेप्ट दिमाग में आया। इसके बाद ईरान से यह कला भारत पहुंची। भारत में दिल्ली से मुर्शिदाबाद और मुर्शिदाबाद से बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इसने कदम रखा। ढाका के बाद यह कला लखनऊ में आई।