प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधु जल संधि और मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों का हवाला देते हुए कांग्रेस पर मंगलवार को करारा प्रहार किया तथा कहा कि देश की आजादी के बाद उसने (कांग्रेस ने) हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है।
किसने दिया कब्जे का अवसर
मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने का मौका गंवा देने के आरोपों पर कहा, आज जो लोग पूछ रहे हैं कि पीओके को वापस क्यों नहीं लिया, उन्हें सबसे पहले इस सवाल का जवाब देना होगा कि किसकी सरकार ने इस क्षेत्र पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर दिया था?
मोदी ने कहा कि वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे। हजारों किलोमीटर इलाका हमारी सेना ने कब्जा कर लिया था। हम विजय की स्थिति में थे। उस दौरान यदि थोड़ा सा भी विजन होता, समझ होती तो पीओके वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था। वह मौका था, जिसे छोड़ दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जवाब साफ है, जब भी मैं (जवाहरलाल) नेहरू जी की चर्चा करता हूं कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के हितों को गिरवी रख देना कांग्रेस की पुरानी आदत है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल समझौता है, जो नेहरू जी ने पाकिस्तान के साथ किया था।
उन्होंने कहा, सिंधु जल समझौता, भारत की अस्मिता और स्वाभिमान के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा था। देश के एक बहुत बड़े हिस्से को जल संकट में धकेल दिया गया। मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि इस समझौते के कारण देश बहुत पिछड़ गया, हमारे किसानों को खेती का नुकसान हुआ। नेहरू जी तो उस डिप्लोमेसी को जानते थे, जिसमें किसान का कोई वजूद नहीं था।
उन्होंने दावा किया कि नेहरू जी ने पाकिस्तान के कहने पर यह शर्त स्वीकार की थी कि बांध में जो गाद जमी होगी, उसकी सफाई नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि बाद में भी कांग्रेस की सरकारों ने नेहरू जी की इस गलती को सुधारा तक नहीं, लेकिन इस पुरानी गलती को अब सुधारा गया और ठोस निर्णय लिया गया।
सिंधु जल समझौता
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेहरू जी के ब्लंडर (सिंधु जल समझौता) को देश हित और किसान हित में अब निलंबित कर दिया गया है। भारत ने तय कर दिया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास नेशनल सेक्युरिटी (राष्ट्रीय सुरक्षा) का विजन न पहले था और न आज है और उसने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता किया है।
प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों की ओर से कूटनीतिक नाकामी का दावा किये जाने को लेकर कहा, आजकल कांग्रेस के जो लोग हमें डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ा रहे हैं, मैं उनकी डिप्लोमेसी याद दिलाना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद भी कांग्रेस का पाकिस्तान से प्रेम नहीं रुका और हमले के कुछ हफ्ते के भीतर ही विदेशी दबाव में आकर कांग्रेस-नीत संप्रग सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस घटना के बाद एक भी (पाकिस्तानी) राजनयिक को भारत से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं की और एक वीजा तक रद्द नहीं किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, अगर हमारी सरकार आतंकवाद पर नकेल कस सकती है, तो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की ऐसी क्या मजबूरी थी कि आतंकवाद को फलने-फूलने दिया? इसका एक बड़ा कारण इनकी तुष्टीकरण की नीति और वोट बैंक की राजनीति है।
उन्होंने उल्लेख किया कि बटला हाउस मुठभेड़ के बाद कांग्रेस की एक बडी नेता की आंखों में आंसू थे और वोट पाने के लिए इस घटना से जुड़ी बात को देश के कोने-कोने में पहुंचाया गया।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (सर्वाधिक तरजीही देश) का दर्जा दिया था, जिसे उसने कभी वापस नहीं लिया। उन्होंने कहा, एक ओर देश, मुंबई हमले को लेकर न्याय मांग रहा था, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस (सरकार) पाकिस्तान के साथ व्यापार करने में लगी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की आजादी के बाद से जो फैसले लिये गए, उनकी सजा आज तक देश भुगत रहा है।
उन्होंने कहा, अक्साई चीन के पूरे क्षेत्र को बंजर जमीन करार दे दिया गया। इससे देश की 38,000 वर्ग किमी जमीन हमें खोनी पड़ी। वर्ष 1962 और 1963 के बीच कांग्रेस के नेता जम्मू कश्मीर के पुंछ, उरी और नीलम वैली तथा किशनगंगा को छोड़ देने का प्रस्ताव रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि 1966 में कच्छ का रण पर इन लोगों ने मध्यस्थता स्वीकार की थी। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह उनका राष्ट्रीय सुरक्षा का विजन था।
मोदी ने कहा कि भारत का 800 वर्ग किमी क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया, जिसमें छड़बेट भी शामिल है। वहीं, हमारी सेना ने 1965 की जंग में हाजीपीर पास (जम्मू कश्मीर में स्थित दर्रा) को जीत लिया था, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसे लौटा दिया। उन्होंने कहा कि करतारपुर साहेब को वापस लिया जा सकता था लेकिन उसे भी छोड़ दिया गया और 1974 कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया गया।
उन्होंने मुख्य विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा कि मुंबई हमले को अंजाम देने वाला एक आतंकी पकड़ा गया था, पूरी दुनिया ने माना कि वह पाकिस्तानी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इसे भगवा आतंकवाद सिद्ध करने में जुटी रही। मोदी ने आरोप लगाया, कांग्रेस दुनिया को हिंदू आतंकवाद की थ्योरी बेचने में लगी थी।
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने आतंकवाद से जुड़े कानूनों को कमजोर किया। उन्होंने कहा कि हमारे मत मिले न मिले, देश हित में हमारे मन जरूर मिलने चाहिए।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद विभिन्न देशों में भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिमंडल में शामिल सांसदों और अन्य लोगों को बधाई दी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि जो खुद को कांग्रेस के बड़े नेता समझते हैं उनके पेट में दर्द हो रहा है कि भारत का पक्ष दुनिया के समक्ष क्यों रखा गया। शायद कुछ नेताओं को सदन में बोलने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के साथियों से आग्रह है कि एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लिन चिट देना बंद करें, जो देश के विजय का क्षण है कांग्रेस उसे देश के उपहास का क्षण न बनाए। कांग्रेस अपनी गलती सुधारे। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देंगे। इसलिए, ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है। यह जारी है। और यह पाकिस्तान के लिए भी नोटिस है कि वह जब तक भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता रोकेगा नहीं, भारत एक्शन लेता रहेगा। भाषा Edited by: Sudhir Sharma