कश्मीर की चुड़ैल रानी, जिसने कई राजाओं को चटा दी थी धूल

अनिरुद्ध जोशी
प्रतीकात्मक चित्र

कश्मीर में लोहरवंशी की एक रानी थी जिसे लोग लंगड़ी और चुड़ैल रानी कहते थे, परंतु वह बहुत ही बहादुर और सुंदर थी। उसके चर्चे संपूर्ण भारत में थे। प्राचीन संस्कृत कवि कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है। आखिर क्यों उसे चुड़ैल कहा जाता था और क्या है उसकी दास्तान आओ जानते हैं।
 
 
महान नायिका रानी दिद्दा (958 ई.-1003 ई.)
1. कश्मीर के राजा क्षेमेन्द्र गुप्त एक बार आखेट पर निकले और उन्होंने एक बहुत खूबसूरत लड़की को देखा और वे उसे दिल दे बैठे, परंतु वह लड़की अपंग थी। राजा ने फिर भी उससे विवाह किया। 
 
2. कहते हैं कि लोहार राजवंश रानी दिद्दा बचपन में ही युद्ध कला में पारंगत हो गई थी और वह तरह तरह के खेलों में भी निपुण थी। राजा क्षेमेन्द्र गुप्त ने जब पहली बार उसे देखा तो उसकी खूबसूरती पर मोहित होकर उससे विवाह कर लिया। बाद में रानी ने राजकाज में भी भागीदारी निभानी शुरू कर दी।
 
3. रानी दिद्दा बहुत ही तीक्ष्णबुद्धि की थी और वह तथा उसके सैनिक गुरिल्ला युद्ध करना जानते थे। रानी बहुत ही चालाकी से जंग लड़ती थी इसीलिए उसे लंगड़ी रानी और चुड़ैल रानी भी कहा जाता था। 
 
4. कहते हैं कि जब कई राजा-महाराजा हार गए तो उन्होंने अपनी शर्म को छुपाने के लिए दिद्दा को चुड़ैल कहना शुरू कर दिया जिसके चलते वह चुड़ैल रानी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। 
 
5. कहते हैं कि जब दिद्दा के पति क्षेमेन्द्र गुप्त की मृत्यु हुई तो सत्ता हासिल करने के लिए उसके शत्रुओं ने उसे सती प्रथा का हवाला देकर सती करवाना चाहा परंतु दिद्दा बहुत ही चतुर थी उसने अपनी नीति के चलते क्षेमेन्द्र गुप्ता की पहली पत्नी को सती करवा दिया और अपनी शर्तों के बल पर राजगद्दी पर ताकतवर महिला बनकर बैठ गई और उसने लगभग 50 वर्षों राज किया।
 
6. अपनी पत्नी की बहादुरी के चलते ही राजा क्षेमेन्द्र गुप्त ने अपने अपने नाम के आगे दिद्दा लिखवाना शुरु कर दिया था। उसने अपनी पत्नी के नाम पर सिक्का भी जारी किया था।

अन्य तथ्य : 
 
1. इतिहासकार बताते हैं कि रानी की सेना और गजनवी की सेना में करीब 45 मिनट से 1 घंटे तक लड़ाई चली और आखिर में रानी ने युद्ध जीत लिया। हालांकि कई इतिहासकार मानते हैं कि गजनवी और रानी में कभी युद्ध हुआ ही नहीं प्रतिकूल मौसम के चलते गजनवी कभी कश्मीर गया ही नहीं।  
 
2. कश्मीर पर उसने कब आक्रमण किया था यह स्पष्ट नहीं परंतु कहते हैं कि 1015 में उसने आक्रमण किया था। कहते हैं कि महमूद गजनवी अपने 35000 सैनिकों को लेकर कश्मीर पहुंचा था और उधर रानी दिद्दा मात्र 500 सैनिक को लेकर उसका सामना करने के लिए निकल पड़ी। 
 
3. गजनवी को दिद्दा ने अपनी रणनीति से एक नहीं दो-दो बार भारत में घुसने से रोका और युद्ध में हराया, जिसके बाद उसने रास्ता बदला और गुजरात के रास्ते भारत में प्रवेश किया। 
 
4. गजनवी ने अपने आक्रमण में उनसे भारत के कई राजाओं को हराया परंतु कश्मीर और बुंदेलखंड में उनको हार का सामना करना पड़ा। बुंदेलखंड (राजधानी कालिंजर) के चंदेल शासक विद्याधर ने एक विशाल सेना जुटाई। महमूद सेना देखकर विचलित हो गया और आखिर उसे मैदान छोड़कर भागना पड़ा।
 
5. रूपा पब्लिकेशन से प्रकाशित आशीष कोल की किताब ‘दिद्दा द वैरियर क्वीन ऑफ कश्मीर’ में महमूद गजनवी और रानी द्दिदा के बीच हुए युद्ध की जानकारी मिलती है।
 

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