मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गज़नवी, मुहम्मद गोरी और चंगेज खान के बाद तैमुर भारत को लुटने आया था। उसे लंग इसलिए कहते थे क्योंकि वह लंगड़ा था। उसके बाद बाबर ने इस देश को लुटा ही नहीं बल्कि यहां शासन भी किया और अपनी सोच की संतानें छोड़ गया।
तैमूर लंग भी चंगेज खान जैसा शासक बनना चाहता था। सन् 1369 ईस्व में समरकंद का शासक बना। उसके बाद उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था।
क्रूरता के मामले में वह चंगेज खान की तरह ही था। कहते हैं, एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया तब उत्तर भारत में तुगलक वंश का राज था। 1399 में तैमूर लंग द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ और वह कत्लेआम करता हुआ मजे के साथ आगे बढ़ता गया।
तैमूर के आक्रमण के समय वक्त हिन्दुओं ने जौहर की राजपूती रस्म अदा की थी, यानी युद्ध में लड़ते-लड़ते मर जाने के लिए बाहर निकल पड़े थे। दिल्ली में वह 15 दिन रहा और उसने इस बड़े शहर को कसाईखाना बना दिया था। बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह समरकंद वापस लौट गया। तैमूर के जाने के बाद दिल्ली मुर्दों का शहर रह गया था।
तैमूर का जन्म 1336 समरकंद के एक आम परिवार में हुआ था। तैमूरलंग एक मामूली चोर था, जो मध्य एशिया के मैदानों और पहाड़ियों से भेड़ों की चोरी किया करता था। जन्म के समय नाम तैमूर रखा गया था। एक घटना के बाद उसे तैमूर-ए-लंग कहा जाने लगा। घटना यह थी कि एक लड़ाई में तैमूर के शरीर का दाहिना हिस्सा बुरी तरह घायल हो गया था। तैमूर का मतलब लोहा होता है। आगे चलकर लोग उन्हें फारसी में मजाक मजाक में तैमूर-ए-लंग (लंगड़ा तैमूर) कहने लगे।
अनुमान यह है कि यह हादसा 1363 के करीब हुआ था। 15वीं शताब्दी के सीरियाई इतिहासकार इब्ने अरब शाह के मुताबिक एक भेड़ चराने वाले चरवाहा ने भेड़ चुराते हुए तैमूरलंग को अपने तीर से घायल कर दिया था। चरवाहे का एक तीर तैमूर के कंधे पर लगा था और दूसरा तीर कूल्हे पर। तैमूरलंग का 1405 में निधन हुआ था, तब वह चीन के राजा मिंग के खिलाफ युद्ध के लिए जा रहा था।