What will change Statehood in Ladakh: भारत के उत्तरी छोर पर स्थित लद्दाख , अपनी अनोखी भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामरिक स्थिति के कारण देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, जिससे सीधे दिल्ली का प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित हुआ। हालांकि, इस बदलाव ने स्थानीय आबादी के बीच अपनी पहचान, संस्कृति और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिसके चलते वे छठी अनुसूची में शामिल होने या पूर्ण राज्य का दर्जा पाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं।
भारत के लिए लद्दाख का सामरिक और सांस्कृतिक महत्व : लद्दाख की भू-राजनीतिक स्थिति इसे भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। यह क्षेत्र पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ सीमा साझा करता है, जिससे यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक संवेदनशील बिंदु बन जाता है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, भारत सरकार ने यहां बुनियादी ढांचे और सैन्य तैयारियों को और मजबूत किया है, जो सीमा प्रबंधन के लिए आवश्यक है।
लेकिन लद्दाख केवल एक सामरिक चौकी नहीं है। यह बौद्ध और मुस्लिम आबादी का एक अनूठा संगम है, जिसकी अपनी एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। यहां के मठ, त्यौहार और पारंपरिक जीवन शैली इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं। तेजी से बढ़ते पर्यटन और विकास के बीच, इस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि स्थानीय लोग अपनी जमीन और पहचान की रक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा चाहते हैं।
क्या है भारतीय संविधान की छठी अनुसूची?: भारतीय संविधान की छठी अनुसूची एक विशेष प्रावधान है, जिसका उद्देश्य आदिवासी और सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट क्षेत्रों को स्वायत्त शासन प्रदान करना है। यह अनुसूची वर्तमान में केवल पूर्वोत्तर के चार राज्यों- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में लागू है। इसके तहत, इन क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदें बनाई जाती हैं, जिन्हें भूमि, जंगल, जल स्रोतों, शिक्षा, और सामाजिक रीति-रिवाजों जैसे विषयों पर कानून बनाने का अधिकार होता है। इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों की संस्कृति, भूमि अधिकार और स्वशासन की रक्षा करना है।
छठी अनुसूची में शामिल होने के बाद क्या बदल जाएगा? : अगर लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाता है, तो यहां कई बड़े बदलाव होंगे: 1. स्वायत्त जिला परिषदें: यहां एक या एक से अधिक स्वायत्त परिषदें बन सकती हैं, जो स्थानीय प्रशासन को मजबूत करेंगी। 2. भूमि और संसाधनों पर नियंत्रण: स्थानीय आबादी को अपनी जमीन, जंगल और जल संसाधनों पर अधिक नियंत्रण मिल सकेगा, जिससे बाहरी लोगों के प्रवेश और अंधाधुंध विकास को रोका जा सकेगा। 3. सांस्कृतिक संरक्षण: बौद्ध मठों और स्थानीय परंपराओं को संवैधानिक सुरक्षा मिलेगी, जिससे उनकी विशिष्ट पहचान बनी रहेगी। 4. रोजगार में प्राथमिकता: सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाए जा सकते हैं।
पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से ये होंगे बदलाव : पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर, लद्दाख की अपनी निर्वाचित विधानसभा और मुख्यमंत्री होंगे। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दिल्ली पर निर्भरता कम होगी और स्थानीय सरकार अपनी जनता की जरूरतों के अनुसार नीतियां बना पाएगी।