रानी अहिल्याबाई के राज्य के सिक्कों पर क्यों मुद्रित थे शिव और बेलपत्र?

WD Feature Desk

मंगलवार, 27 मई 2025 (07:55 IST)
Rani Ahilyabai Jayanti 2025: 31 मई को रानी अहिल्याबाई की जयंती है। रानी अहिल्याबाई ने राजधानी मल्हारनगर (महेश्वर) की टकसाल से रजत व ताँबे के सिक्के (मुद्रा) ढलवाएँ। सिक्कों पर शिवलिंग व बेलपत्र को अंकित किया गया। इसके पीछे दो बड़े प्रमुख कारण थे। इनमें भगवान शिव को राजा बनाकर सेवक बनकर राज्य करना और अन्य हिंदू राजाओं को यह संदेश देना कि यह तो शिव का राज्य है और शिव के राज्य पर हमला करने का मतलब भगवान शिव पर आधिपत्य करना माना जाएगा।
 
देवी अहिल्या की यह कूटनीति सफल रही और किसी ने भी उनके राज्य पर हमला नहीं किया। यह जानकारी बुरहानपुर के प्रमुख मुद्राशास्त्री मेजर डॉ. महेशचंद्र गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में दो तरह के सिक्के ढलवाए एक पर शिवलिंग और बेलपत्र और दूसरे पर भगवान मार्तण्ड का प्रतीक चिन्ह सूर्य को अंकित किया गया था।
 
पहले वाले सिक्के मल्हार नगर से वर्ष 1180 में और दूसरे प्रकार के सिक्के इंदौर टकसाल से वर्ष 1184 में ढलना शुरू हुए। यह दोनों सिक्के डॉ. मेजर गुप्ता के निजी संग्रहालय में है।
 
होलकर शासनकाल के शुभंकर मल्हारराव के शीश पर फन से छाया करने वाले सर्प का प्रतीक छत्र, सूर्यवंश को इंगित करता भगवान सूर्य, शिव की सवारी बैल, आवगमन का साधन घोड़ा और मल्हारराव का प्रिय शस्त्र खंग एवं राज्य की प्रमुख फसले गेहूँ और अफीम, तत्कालिन समय की वंश एवं लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते है।

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