कुंभ में धर्म संसद के बहाने हिन्दू एकता की कवायद

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013 (20:06 IST)
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प्रयाग कुंभ में विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद सियासत और धार्मिक स्वावलंबियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस धर्म संसद में अनेक प्रस्ताव रखे गए। जिसमें में पहला प्रस्ताव 'गंगारक्षा' का था।

सच्चा बाबा आश्रम के पूज्य संत गोपाल स्वामी ने 'गंगारक्षा' लड़ाई शुरू की थी और उन्होंने ने ही इस प्रस्ताव को धर्म संसद का प्रमुख एजेंडा बनाया। प्रस्ताव में मांग की गई है कि गंगा की प्रदूषण मुक्त धारा निरन्तर बहती रहे, इसकी व्यवस्था सरकार करे।

'मठ मन्दिरों की स्वायत्तता और सुरक्षा' का प्रस्ताव स्वामी अखिलेश्वरानंद द्वारा लाया गया था, जिसमें मठ-मन्दिरों के अधिग्रहण की कुटिल सरकारी नीति के बारे में हिन्दू समाज को सावधान करते हुए सुझाव दिया गया है कि वे भजन-मण्डली बनाकर अपने आस-पास के मठ-मन्दिरों में पूजा-अर्चना और समाज जागरण के विविध प्रकल्पों की व्यवस्था करने की मांग की जाने की प्रबल संभावना है।

विहिप का चिर पुरातन एजेंडा अयोध्या में 'श्री राम जन्मभूमि' पर भव्य राम मंदिर का निर्माण जोरों से उठाया। इस प्रस्ताव की प्रथम बार डॉ. राम विलास वेदान्ती द्वारा लाया गया। उक्त प्रस्ताव में संतों द्वारा सरकार से आग्रह किया कि वह जल्दी से जल्दी सर्वसम्मति से श्रीराम जन्मभूमि परिसर को श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे ताकि मन्दिर निर्माण हो सके।

विश्व हिन्दू परिषद का मुख्य एजेंडा हिन्दुओं की रक्षा है। उनके प्रस्ताव में यह वर्णित किया गया है कि जब विश्व में इस्लाम व ईसाई मतावलम्बी नहीं थे, तब से लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में जानते हैं। उत्थान और पतन प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। अतीत में तमाम राष्ट्रों का पतन हुआ और वह फिर नहीं उभर सके, लेकिन भारत की सनातन संस्कृति अजर-अमर है। इस देश में कभी न समाप्त होने वाली आध्यात्मिक ऊर्जा है। यह ऊर्जा ही इसे लगातार उत्थान की ओर ले जाती है।

विहिप का मानना है कि जब अपने समाज में कमजोरी आती है तभी प्रहार होते हैं। अब समय आ गया है कि हिन्दूसमाज अपना विराट रूप दिखाए। उन्होंने कहा कि संघ 1925 से हिन्दुओं को संगठित कर रहा है। परिणामतः आज लोग गर्व से कह रहे हैं कि 'हम हिन्दू हैं।'

हिन्दू समाज को हनुमान बनना पड़ेगा, जागृत होना होगा, अपने आपको पहचानना होगा, क्योंकि जागृत हिन्दू समाज ने ही सदैव आसुरी शक्तियों को समाप्त किया है।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद की ओर से हिन्दू समाज के पांच शत्रुओं को चिन्हित किया- इस्लामी जिहाद, अमेरीका, यूरोप से सहायता प्राप्त चर्च एवं वामपंथी, ये तीनों इस देश में फैल रहे आतंकवाद की जड़ हैं। जबकि चौथा शत्रु 'सेकुलरवादी हिन्दू' हैं, जो इन तीनों की मदद कर रहे हैं। पांचवां शत्रु 'सेकुलर मीडिया' है, जिसे कश्मीर सहित देश के किसी कोने में हिन्दुओं पर होने वाले हमले नहीं दिखायी पड़ते हैं।

विहिप का मानना है कि यदि हिन्दू चाहते हैं कि धर्म की रक्षा हो तो वे अपने शरीर का मोह छोड़ दें। गांव-गांव जाएं और लोगों को बताएं कि हमारे शत्रु कौन हैं। धर्म संसद में गोवंश रक्षा, धर्मांतरर पर रोक, जनसंख्या असंतुलन, श्रीराम जन्मभूमि पर आतंकी हमले के विरुद्ध एवं हिन्दू वोट बैंक से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, जिसका समर्थन उपस्थित संतों एवं जनसमुदाय ने किया।

धर्म संसद में बिहार, उप्र और मप्र से आए लगभग 1500 साधु-संतों और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं समेत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख के भी उपस्थित हुए। इस संसद में सबसे बड़ा मुद्दा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की प्रबल दावेदारी पर सर्वसम्मति से मुहर लगने के कयास लगाए जा रहे हैं।

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