डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी, जानिए क्या होता है फतवा और कौन कर सकता है इसे जारी

WD Feature Desk

मंगलवार, 1 जुलाई 2025 (13:16 IST)
What is fatwa and how fatwa is issued:  ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासर मकरम शिराज़ी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। फतवे में कहा गया है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खामेनेई को धमकी देने या उनकी हत्या की कोशिश करने वालों को अल्लाह के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। फतवे में डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू को अल्लाह का दुश्मन बताया गया है और उन्हें नेस्तनाबूद करने की धमकी दी गई है।

इस्लाम धर्म में 'फतवा' एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर सुना जाता है, लेकिन इसके सही अर्थ और महत्व को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति रहती है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि फतवा क्या है, इसका इस्लाम में क्या महत्व है, कौन इसे जारी कर सकता है और भारत में इसकी क्या प्रासंगिकता है।

फतवा क्या है?
फतवा एक अरबी शब्द है और इसे शरिया कानून के तहत जारी किया जाता है। सरल शब्दों में, फतवा इस्लामी कानून जिसे शरीयत कहा जाता है, के किसी विशेष मुद्दे पर एक कानूनी राय या व्याख्या है, जो एक योग्य इस्लामी विद्वान (मुफ्ती) द्वारा प्रदान की जाती है। यह किसी भी मुस्लिम व्यक्ति या समुदाय द्वारा पूछे गए एक विशिष्ट प्रश्न के जवाब में जारी किया जाता है, जो किसी धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक या व्यक्तिगत मामले से संबंधित हो सकता है। फतवा कोई कानून नहीं है जिसे लागू किया जा सके, बल्कि यह एक विशेषज्ञ की राय है जिसका उद्देश्य इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार मार्गदर्शन प्रदान करना है।

इस्लाम में फतवे का महत्व
इस्लाम में फतवे का गहरा महत्व है। यह मुसलमानों को उनके दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों और दुविधाओं का इस्लामी दृष्टिकोण से समाधान ढूंढने में मदद करता है। चूंकि इस्लामी कानून जिसे शरीयत कहते हैं, कुरान और हदीस (पैगंबर मुहम्मद के कथन और कार्य) पर आधारित है, और ये प्राचीन ग्रंथ हैं, इसलिए आधुनिक युग की नई समस्याओं के लिए इनकी व्याख्या की आवश्यकता होती है। फतवा इसी व्याख्या का कार्य करता है। यह मुसलमानों को सही और गलत के बीच अंतर करने और अल्लाह की इच्छा के अनुसार कार्य करने में सहायता करता है।

कौन जारी कर सकता है फतवा?
फतवा जारी करने का अधिकार हर किसी को नहीं होता। इसे केवल एक 'मुफ्ती' ही जारी कर सकता है। मुफ्ती वह इस्लामी विद्वान होता है जिसने इस्लामी कानून, कुरान, हदीस और फ़िक़्ह (इस्लामी न्यायशास्त्र) का गहन अध्ययन किया हो और उन्हें इनकी गहरी समझ हो। मुफ्ती को "दारुल इफ्ता" नामक एक विशेष संस्थान से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, जो फतवा जारी करने के लिए अधिकृत होता है।

क्या मौलाना जारी कर सकते हैं फतवा?
अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या मौलाना फतवा जारी कर सकते हैं। इसका सीधा जवाब है - नहीं, हर मौलाना फतवा जारी नहीं कर सकता। 'मौलाना' एक सामान्य उपाधि है जो इस्लामी शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को दी जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे मुफ्ती हों। मुफ्ती बनने के लिए एक विशेष और उच्च स्तरीय अध्ययन तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। केवल वही मौलाना फतवा जारी कर सकते हैं जिन्होंने मुफ्ती का दर्जा प्राप्त किया हो। आम तौर पर, एक मौलाना धार्मिक उपदेश दे सकता है, नमाज़ पढ़ा सकता है, और धार्मिक शिक्षा दे सकता है, लेकिन कानूनी राय (फतवा) जारी करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, जब तक कि वे मुफ्ती न हों।
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ईरान के फतवे का असर?
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी के खिलाफ ईरान की ओर से जारी किए गए फतवों की काफी चर्चा होती है। सलमान रुश्दी की ओर से लिखी गई एक किताब पर पैगंबर मोहम्मद साहब के अपमान का आरोप लगा था। इसके बाद साल 1989 में ईरान द्वारा रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया गया था। इस फतवे के बाद सलमान रुश्दी को दशकों तक छुपकर रहना पड़ा था। साल 2022 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में उनकी जान तो बच गई लेकिन उन्हें अपनी एक आंख गंवानी पड़ी।

भारत में कितना असरदार है फतवा?
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ सभी धर्मों को अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता है। भारत में फतवा कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। इसका मतलब यह है कि भारतीय कानून के तहत किसी भी फ़तवे को लागू नहीं किया जा सकता है, और कोई भी व्यक्ति इसका पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। भारत का संविधान सर्वोच्च है और सभी नागरिकों पर लागू होता है। 


 

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