कुंभ में नौनिहालों की भीड़

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सदी के पहले महाकुंभ की मेजबानी कर रहे हरिद्वार में मौजूद नागा साधुओं के बीच आपको कई छोटे-छोटे नौनिहाल नजर आ जाएँगे। साधुओं की सोहबत में इन बच्चों को आप अलाव के सामने बैठे या सुट्टा मारते देख सकते हैं। भौतिक संसार की मोह-माया से दूर शिव भक्त नागा साधुओं के ‘अखाड़ों’ में मौजूद इन बच्चों का दीदार यहाँ आने वाले लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं।

नागा साधुओं की सोहबत में रहने वाले ये बच्चे नागा नहीं हैं लेकिन इनकी देखभाल इन्हीं अखाड़ों या हिन्दू धार्मिक संस्थाओं की ओर से किया जाता है। शिक्षा से लेकर इनकी जिंदगी में हर चीज की देखभाल अखाड़े या धार्मिक संस्थान ही करते हैं।

जूना अखाड़ा के महंत उदय चेतन पुरी ने बताया कि वे नागा नहीं हैं पर कई अखाड़े स्कूल चलाते हैं और गरीब बच्चों की देखभाल करते हैं। ‘दीक्षा’ सिर्फ उन्हीं को दी जाती है जो इसके लिए काम करते हैं और वह भी उस वक्त जब इनकी उम्र 16 से 18 साल हो जाती है। परंपरा के मुताबिक एक नागा बनने के लिए किसी शख्स को कई शारीरिक और मानसिक जाँच से गुजरना पड़ता है। (भाषा)

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