जहां एक ओर पारे को ठोस करने की विधि की खोज में और उस अनुंसधान में तमाम वैज्ञानिक अपनी पूरी उम्र गुजार चुके हैं। वही संगम पहुंचे इलाहाबाद के एक युवा वैज्ञानिक और वैद्य ने जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कर तीन वर्षों के अथक प्रयास से पारे को ठोस कर एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है। जिसे देखकर तमाम लोग हैरत में है।
इस युवा वैज्ञानिक ने पारे से एक ऐसे शिवलिंग का निर्माण किया है जिसका वजन 125 किलो से ज्यादा है। इस अनोखे शिवलिंग को कुंभ क्षेत्र में स्थापित किया गया है। हर दिन इस शिवलिंग के दर्शन के लिए सैकड़ों लोग आ रहे हैं।
मरकरी को ठोस रूप प्रदान करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले यह है इलाहाबाद के रहने वाले राज किशोर वैद्य। राज किशोर ने अपनी कई साल की तपस्या और शोध के चलते जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हुए पारे को ठोस करने की कला को सीख लिया है, जिसके चलते इन्हें भारत के राष्ट्रपति का पुरस्कार भी मिला है।
राजकिशोर का कहना है किसी भी पारे को ठोस करने की प्रक्रिया में कम से कम 6 से 7 घंटे लगते हैं। कई जड़ी-बूटियों को आपस में मिलाने से पारा ठोस रूप ले लेता है। उसी के बाद राजकिशोर ने इस भव्य शिवलिंग का निर्माण किया।
राज किशोर ने एक इंच के शिवलिंग से लेकर एक फिट के शिवलिंग तक का निर्माण किया है। उनका मानना है कि उनके द्वारा बनाया गया पारे का शिवलिंग विश्व का सबसे भारी और बड़ा पारे का शिवलिंग है। वहीं दिल्ली से आई भक्त ने बताया कि अदभुत शिवलिंग के बारे में सुनते ही देखने की लालसा हुई और चली आई।
इस धरती पर जितते भी खनिज पदार्थ मिलते हैं उनमें पारा एक ऐसा पदार्थ है जो द्रव के रूप में पाया जाता है। पारे का स्वरूप पिघली हुई चांदी के सामान होता है। वैज्ञानिक इसे अपनी भाषा मे 'क्विक सिल्वर' कहते हैं। धातुओं में सबसे ज्यादा भारी धातु के रूप में पारे को जाना जाता है। इसे विष धातु की भी संज्ञा दी गई है। इसके अलावा पारे का महत्व कई ग्रंथों में भी दिया गया है।
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पुराणों में यह वर्णन मिलता है कि विधि पूर्वक किए गए सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ और करोड़ों गायों के दान से जो फल प्राप्त होता है वह इस पारे के शिवलिंग के दर्शन से होता है। जो भक्त इस पारद शिवलिंग की भक्ति पूर्वक पूजन करता है उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग पूजन का फल प्राप्त होता है।
एक सहस्त्र करोड़ शिवलिंग के यथाविधि पूजन करने से जो फल प्राप्त होता है उससे भी करोड गुना अधिक फल इस रस लिंग पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है। इस शिवलिंग की उपासना से आयु, धन, आरोग्य, जठराग्नी, मेघा, अत्मबल, रूप यौवन की प्राप्ति होती है।
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एक किलों पारा बाजार में करीब बीस से तीस हजार के बीच मिलता है उस हिसाब से 35 से 40 लाख की लागत में इस पारद शिवलिंग का निर्माण किया गया है। करीब 5 प्रक्रिया से गुजरते हुए इस शिवलिंग का निर्माण कर राज किशोर ने इसे संगम पर स्थापित किया है।
एक आश्रम में स्थापित इस शिवलिंगग के दर्शन के लिए रोज सैकड़ों लोग संगम आ रहे है। राज किशोर इस पारद शिवलिंग के निर्माण के बाद भगवान राम द्वारा इस्तेमाल में लाया गया अनोखा पुष्पक विमान का निर्माण करने की शोध में लगे हैं।