कुंभ में भक्ति रस की बयार

SUNDAY MAGAZINE
कुंभनगरी में धर्म की गंगा निर्बाध बह रही है। तरह-तरह के हाईटेक साधु से लेकर रामकृष्ण एवं हरिनाम का जाप करते साधु नाच नाच कर भक्ति रस की बयार बहा रहे हैं। युवाओं का रुझान धर्म की तरफ बढ़ता देख अखाड़े ही नहीं श्रद्घालुओं में भी उत्सुकता है। संन्यास धारण करने वाले साधुओं एवं संन्यासियों में युवाओं का प्रतिशत ही अधिक है। इनमें सेवाभाव है तो धर्म कार्य को जानने इसे अपनाने में रूचि भी। सामाजिक सरोकारों कुरीतियों पर प्रहार में इनकी तमन्ना है।

तरह-तरह की समाजसेवी संस्थाएँ तरह-तरह के हठयोगी तरह-तरह का धरम-करम सब कुंभनगरी में दिख रहा है। वैसे तो 16 फरवरी से बृहस्पति जो देवाताओं के गुरू हैं के अस्त होने से 16 फरवरी से 20 मार्च के बीच मांगलिक एवं शुभ कार्यों की मनाही है। लेकिन महाकुंभ का पर्वकाल चलने से कुंभ क्षेत्र इस प्रभाव से मुक्त बताया जा रहा है। यहाँ चल रहे यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान, कथा वाचन समेत सभी धार्मिक कार्य जारी रहेंगे।

अखाड़ों में विदेशी भी ओम नमः शिवाय के जाप करते तरह-तरह के रूपों में श्रद्घालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सितारों के तारों पर 'ओम नमः शिवाय' का जाप हो या तबला हारमोनियम के स्वर में शिव नाम का जाप जोगी अपनी धूनी रमाकर प्रभु नाम के सुमिरण में अलग-अलग तरीके से लगे हैं।

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