कुंभ मेले के चलते हरिद्वार जाने वाले तमाम रास्तों पर श्रद्धालुओं की बढ़ी आवाजाही और मार्ग परिवर्तन के कारण स्थानीय नागरिकों के साथ ही कुछ हाथियों के लिए भी समस्या पैदा हो गई है, जिन्हें अपने पसंदीदा 'रसगुल्ले' खाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है और हाथियों के उत्पात से इस मार्ग पर यातायात बाधित हो रहा है।
दरअसल हरिद्वार के लक्सर रोड पर गंगा पार कर हाथी विशेष किस्म के गन्ने की फसल 'रसगुल्ला' खाने आते हैं। यही कारण है कि कुंभ मेले के चलते परिवर्तित मार्ग के रूप में प्रयोग किए जा रहे लक्सर मार्ग पर अक्सर हाथियों के झुँड दिखाई देते हैं और कई बार तो 'रसगुल्ले' के फेर में ये हाथी मार्ग के बीचों-बीच आ बैठते हैं, जिससे वाहनों और राहगीरों को परेशानी होती है।
कुंभ मेले के दौरान दिल्ली की ओर से आने यात्रियों को इसी मार्ग से होकर गुजरना है। ऐसे में कुंभ यात्रियों के साथ-साथ राहगीरों के लिए हाथियों का झुँड समस्याएँ पैदा कर सकता है।
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पिछले वर्ष भी इस मार्ग पर हाथी के कुचले जाने के चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। लक्सर मार्ग पर बढ़ी हाथियों की आवाजाही के मुद्दे पर राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक वीएस रसायली ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से लक्सर मार्ग के क्षेत्र में किसान एक खास किस्म 'रसगुल्ले' के गन्ने की खेती कर रहे हैं जिसे खाने के लिए हाथियों का झुँड यहाँ आता है।
गन्ने की विशेष किस्म 'रसगुल्ले' के प्रति हाथियों की ऐसी दीवानगी है कि इस खास किस्म के गन्ने की पैदावार को खाने के लिए हाथी आठ से दस किलोमीटर की दूरी तय कर यहाँ आते हैं। रसायली ने बताया कि कुंभ मेले के दौरान वन विभाग की कोशिश होगी कि हाथी परिवर्तित मार्ग पर न जाने पाएँ। इसके लिए विशेष तौर पर लक्सर मार्ग पर स्थानीय कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा ताकि वह हाथियों को परिवर्तित मार्ग पर जाने से रोक सकें। फिलहाल कुंभ मेला प्रशासन ने न तो इस मामले में वन विभाग से कोई संपर्क साधा है और न ही कुंभ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम उठाया है। (भाषा)