सात संन्यासी अखाड़ें में से एक निरंजनी अखाड़े में नागा संन्यासियों को दीक्षा देने की प्रक्रिया शुरू चल रही है। इस बार कुंभ में करीब दो हजार साधुओं को नागा संन्यासी बनने की दीक्षा दी जाएगी। संगम तट पर यह नागा स्वयं अपना पिंडदान करेंगे। यह प्रक्रिया 13 फरवरी को संगम तट पर पूरी होगी।
सिर्फ साथ अखाड़ों को ही नागा साधु बनाने का अधिकार है। महामंडलेश्वर और नागा साधु बनने की प्रक्रिया अलग अलग होती है।
मंगलवार को निरंजनी अखाड़े के पदाधिकारियों ने बैठक करके संन्यास दीक्षा की तिथि तय कर दी।
अखाड़े के प्रबंधक श्रीमहंत रवीन्द्र पुरी ने बताया कि विभिन्न जगहों से दीक्षा लेने के लिए लोग यहां आने लगे हैं। इनमें बिहार प्रांत के साधुओं की संख्या ज्यादा है। उन्होंने कहा कि संगम तट पर दीक्षा देने से पहले सबको कठिन साधना से गुजरना पड़ेगा।
इन साधुओं को अभी गोपनीय तरीके से रखा गया है, ताकि इनके अंदर कोई मायामोह हो तो वह 13 फरवरी तक समाप्त हो जाए। संगम तट पर सुबह से लेकर शाम तक सबकी दीक्षा संपन्न कराई जाएगी। सभी अपना पिंडदान करके हवन आदि करेंगे। करीब दो हजार साधुओं को दीक्षित किया जाएगा।
दो संत बने महामंडलेश्वर : इस कुंभ में एक महिला और एक पुरुष को महामंडलेश्वर बनाया गया। 23 जनवरी को महंत दिर्भयानंद पुरी को महिला महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। उन्हें उनके गुरु केशवानंद पुरी की गद्दी पर प्रतिष्ठित किया गया है। 24 जनवरी को चिन्मयानंद पुरी को महामंडलेश्वर बनाया गया। उनकी अवस्था 25 वर्ष है। उन्हें महंत गिरिजानंद की गद्दी पर बैठाया गया। (एजेंसियां)