कुंभ नगरी में गत दिवस पत्रकारों ने पायलट बाबा आश्रम में नोटिस चस्पा करने गए पुलिसकर्मियों को छायांकित कर रहे छायाकार पर आश्रम प्रबंधक द्वारा हमला किए जाने के बाद पायलट बाबा को जूना अखाड़े से अलग करने की माँग उठा दी। उनका आरोप है कि यह हमला उक्त बाबा की शह पर कराया गया।
इस हमले के बाद बाबा से महामण्डलेश्वर का पद भी छीने जाने की माँग की गई है। पुलिस ने 14 अप्रैल को सम्पन्न शाही स्नान में उक्त महामण्डलेश्वर की जाँच होने तक उनसे कुंभ क्षेत्र बिना पुलिस की पूर्व अनुमति के न छोड़ने को कहा है।
इस विवाद के अलावा रामनंदाचार्य राम नरेशाचार्य ने कुंभ में अखाड़ों की शक्तियों पर कल अंकुश लगाने की माँग की गई थी, जिसको लेकर भी साधुओं में आज प्रतिक्रिया दिखी। फर्जी रामनंदाचार्य भी फर्जी शंकराचार्यों की तर्ज पर एक समस्या बन जाने से श्रीमठ पंचगंगा के पीठाधीश्वर स्वामी रामनरेशाचार्य द्वारा इस पर अंकुश के लिए कोर्ट जाने का भी ऐलान करने से संतों में सुगबुगाहट दिखी।
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कुंभ से साधुओं का जाना भी जारी है। कई साधु-संत धूना समेटे अपने मठों को कूच करने में लगे हैं, तो कुछ अखाड़े अपने अंदरूनी व्यवस्थाओं का चुनाव भी करने में लगे हैं। साधु-संतों की चलाचली से कुंभ क्षेत्र की रौनक गायब हो रही है। लेकिन श्रद्घालुओं का गंगा तट पर स्नान के लिए आने का क्रम जारी है। सायंकालीन गंगा आरती में अब भी भारी भीड़ जुट रही है।
पुरुषोत्तम मास में गंगा स्नान एवं नक्षत्रों के योग से पुण्य लाभ जारी होने से श्रद्घालुओं की भीड़ यहाँ आ रही है, लेकिन नागा साधु एंव अन्य संत अब धर्मनगरी से विदा ले रहे हैं।
तीन माह तक इन संतों के धार्मिक क्रियाकलापों, हठयोग, जप, तप एवं अन्य तमाम कथा यज्ञों से आध्यात्म एवं धर्म के रंग में रंग चुकी धर्मनगरी के दृश्य अब ओझल होने से एक तरह का सन्नाटा पसर जाने से श्रद्घालुओं का संतों के प्रति आकर्षण जरूर कम हुआ है। लेकिन इस कमी को यहाँ के तमाम मठ मंदिर पूरा कर रहे हैं।
हरिद्वार में महाकुंभ के इस उतार में अब चारों तरफ गंदगी के ढेर पसरे पड़े हैं। इनसे निजात पाने के लिए नगर पालिका एवं मेला प्रशासन एक दूसरे की तरफ ताक रहा है। लेकिन आम आदमी एवं दूरदराज से आने वाले श्रद्घालु इससे मुसीबत झेलने को विवश हैं। यदि इन पर शीघ्र काबू न हुआ तो शहर को संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचाना मुश्किल होगा।