महाकुंभ में वैभव का प्रदर्शन

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चार पर्व स्नानों के बाद कुंभ का पहला शाही स्नान भी संपन्न हो चुका है लेकिन अब भी कुंभ पर श्रद्धालुओं की भीड़ टूटी नहीं है। इधर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने 30 मार्च को होने जा रहे वैरागियों के स्नान को भी शाही स्नान घोषित करने की माँग कर डाली है। यूँ तो परिषद ने अपने अध्यक्ष की माँग को स्वीकृति दे दी है लेकिन अभी इसकी आधिकारिक घोषणा की जानी है।

12 फरवरी के शाही स्नान में वैष्णवों की उपस्थिति के कारण कारण महंत ज्ञानदास 15 मार्च को ही पहली बार शाही स्नान में शामिल होंगे। वैष्णवों के अखाड़े 30 मार्च को भी चैत्र पूर्णिमा के स्नान में जुटेंगे। महंत ज्ञानदास ने इस स्नान को भी शाही स्नान घोषित करने की मांग की है। इस मांग के पूरा न होने पर वैष्णव अणियों के तीन अखाड़े और उदासीन संप्रदाय के दो अखाड़ों सहित निर्मल अखाड़ा कुंभ स्नान में शिरकत नहीं करेंगे। उनकी इच्छा है कि उन्हें भी तीन शाही स्नान का मौका मिले।

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जाड़े की ठिठुरन और वृंदावन से वैष्णवों के अब तक नहीं लौटने के कारण अब दूसरे शाही स्नान से ही कुंभनगरी में भीड़ जुटने की उम्मीद की जा रही है। लोगों का यह भी मानना है कि अब होली के बाद ही बड़ी संख्या में सामान्य श्रद्धालु कुभ स्नान के लिए हरिद्वार पधारेंगे। फिलहाल तो महाशिवरात्रि के मद्देनजर हरिद्वार के विभिन्न गंगा घाटों से जल उठाने वाले काँवड़ियों के चलते इस महाकुंभ के स्वरूप ने एक नया रूप धारण कर लिया है। देश के कोने-कोने से स्नानार्थ हरिद्वार पधारे श्रद्धालुओं के बीच काँवड़ियों की भीड़ ने भी मेले को अपना एक अलग ही रूप-रंग प्रदान किया है।

इस बीच पेशवाइयों का दौर जारी है। अत्याधुनिक तरीकों से वैभव का प्रदर्शन करने के मामले में अखाड़ों की पेशवाइयां एक से बढ़कर एक युक्तियां अपना रही हैं। हेलीकॉप्टरों से पुष्प-वर्षा इसी का एक नमूना है। हाथी, घोड़े व पालकियों में संत महात्मा स्वर्णजटित सिंहासनों पर बैठकर शाही सवारी में भाग ले रहे हैं। हाथी, घोड़े और ऊँटों की सवारियाँ इस बार कम ही दिख रही हैं।

अस्त्रों में भी भाले, बर्छी एवं तलवारों की जगह आधुनिक युग के अस्त्र बंदूक ने ले ली है। हालाँकि एक सकारात्मक बदलाव इन पेशवाइयों में यह दिखा है कि हर अखाड़े ने एक न एक सामाजिक सरोकारों से खुद को जोड़ा है और जनसंदेश देने की कोशिश की है।

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