कुंभ नगरी की अगली पेशवाई

- महेश पाण्डे

SUNDAY MAGAZINE
कुंभ नगरी में अगली पेशवाई 7 फरवरी को है। साधु-संत जहाँ अगली पेशवाई की तैयारी के लिए जुटे हैं वहीं पेशवाई कर चुके अखाड़े अपनी नई व्यवस्था बनाने एवं छावनी प्रवेश के बाद कल्पवास के लिए आगे की तैयारियों में जुटे हैं। अब 7 फरवरी को कुंभ की शुरुआत के लिए पूजादि का दिन सुझाया गया है। दूसरी तरफ अभी कुंभ कलश की स्थापना नहीं हो सकी है। उधर शिवभक्त काँवडिए शिवरात्रि पर अपने ईष्ट देवताओं को गंगाजल चढ़ाने के लिए काँवड़ भर-भरकर जल ले जाते हुए अपने-अपने गंतव्यों को रवाना हो रहे हैं।

एक तरफ कुंभ की व्यवस्थाओं के लिए बार-बार सरकार दावे करते फिर रही है कि उसकी तरफ से कोई कमी नहीं रह गई है। वहीं बाहर से आए तमाम साधु महँगाई के कारण दो वक्त रोटी के लिए तड़प रहे हैं। राजस्थान व मध्यप्रदेश से आए साधुओं ने कुंभ क्षेत्र में साधुओं के लिए राशन की व्यवस्था न होने से रोष जताया है। मध्यप्रदेश के शाहजहापुर से आए साधु शीतलहिरी का कहना है कि इस धर्मनगरी में महँगाई के कारण तो जीना दूभर हो गया है। न चावल, आटा सस्ता है, न चाय का कोई ठिकाना है। हम कहाँ से आटा-चावल लाएँ। यही दिक्कत बनी हुई।

एक तरफ कुंभ की घोषणा सरकार 1 जनवरी से कर चुकी है तो दूसरी तरफ अभी कुंभ कलश की स्थापना नहीं हो सकी है। अब 7 फरवरी को कुंभ की शुरुआत के लिए पूजादि का दिन सुझाया गया है। कहा जा रहा है कि मेलाधिकारी एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी तक कुंभ का उद्घाटन कर कुंभ की शुरुआत करेंगे। अब तक भी पूजादि में कुंभ के सकुशल सम्पन्न होने की प्रार्थना की गई, वह क्या था, यह प्रश्न अनुत्तरित है। 7 फरवरी को भी कुंभ कलश की प्राण प्रतिष्ठा होगी, या नहीं यह घोषित नहीं है।

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