24 अप्रैल सत्य साईं बाबा की पुण्यतिथि : शिरडी के साईं बाबा के समाधि लेने के ठीक 8 साल बाद आंध प्रदेश के पुट्टपर्थी नामक स्थान पर 1926 में सत्यनारायण राजू का जन्म हुआ। राजू को 13 साल की उम्र में ही उन्हें साईं का अवतार मान लिया गया। आओ जानते हैं उनके 6 चमत्कारों के बारे में। 24 अप्रैल 2011 को 7:40 बजे उन्होंने दुनिया को त्याग दिया।
1940 में उनके पैर में बिच्छू ने काटा। वे बेहोश हो गये। करीब चार घंटे बाद जब उनकी आंख खुली तो पूरा गांव उन्हें देख चकित रह गया। बाबा अचानक संस्कृत के श्लोक बोलने लगे। वे धारा प्रवाह संस्कृत बोल रहे थे, जबकि उन्होंने पहले कभी संस्कृत नहीं पढ़ी थी। अचानक ज्ञान का भंडार देख उनके माता-पिता घबरा गए और उन्हें लेकर डॉक्टरों व पुजारियों के पास गये। तभी एक दिन बाबा ने कहा कि मैं शिरडी के साईं बाबा का अवतार हूं, मुझसे डरो नहीं।
2. बचपन में सत्य साईं ने कुछ फूल लेकर और यूं ही जमीन पर बिखेर दिए थे। जब लोगों ने जमीन पर बिखरे फूलों को देखा तो वहीं तेलगू में लिखा था साईं। यह घटना 1940 की है जब उन्होंने स्वयं को सांई बाबा घोषित किया था। उन्होंने कहा कि 'मैं शिवशक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं। यह कहकर उन्होंने मुट्ठी भर चमेली के फूलों को हवा में उछाल दिया, जो धरती पर गिरते ही तेलुगू में 'साईंबाबा लिख गए।
5. ऐसे भी कहा जाता है कि वे कई मरीजों को छूकर उन्हें ठीक कर देते थे।
6. इनके हवा से भभूति बरसाना, हाथों में सोने की चेन या अंगूठी का अचानक आ जाना, शिवरात्रि पर सोने का शिवलिंग अपने मुंह से निकालना आदि चमत्कारों को देखकर जनता में और भी ज्यादा श्रद्धा उत्पन्न हो जाती थी।