Guru ghasidas: गुरु घासीदास के बारे में 5 खास बातें

WD Feature Desk

बुधवार, 18 दिसंबर 2024 (11:59 IST)
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1. ghasidas baba ki kahani : सतनामी समाज के जनक गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर 2024 को मनाई जा रही है। बता दें कि इस बार यानि आज संत गुरु घासीदास जी की 268वीं जयंती है। इस अवसर पर शोभायात्रा, नृत्य प्रतियोगिता, शिविर तथा लोक कला उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। 
 
Highlights
आइए जानते हैं सतनाम पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास के बारे में 5 बातें...
 
2. संत गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौदपुरी में एक गरीब साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महंगू दास और माता अमरौतिन थीं। तथा घासीदास जी की धर्मपत्नी का सफुरा था।

उनके जीवन से कई चमत्‍कारिक घटनाएं जुड़ी हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे बिना किसी सहारे के हवा में वस्त्र टांग कर सुखा देते थे और पानी पर चल लेते थे। उनका 'मनखे मनखे एक समान' एक संदेश प्रसिद्ध है तथा मानवता को लेकर महान विचारों से समाज में समरसता और समानता की अलख जगाने का श्रेय भी गुरु घासीदास जी को दिया जाता है। 
 
3. गुरु घासीदास जी ने 5 प्रमुख संदेश दिए हैं- पहला मूर्ति पूजा नहीं करना, दूसरा जीव हत्या न करना, तीसरा मांसाहार का त्याग, चौथा चोरी, जुए से दूर रहना, पांचवां नशा का सेवन न करना। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने हेतु अथक प्रयास किए तथा छत्तीसगढ़ के घने जंगलों वाले इलाकों में सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध सद्भावना का प्रचार शुरू किया था।
 
4. समानता, एकता, भाईचारा, शांति, समरसता और सद्भावना के प्रतीक रहे बाबा घासीदास जी ने लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी, अपने ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा में करने हेतु प्रचार किया तथा लोक कल्याण के लिए कठोर तप एवं साधना का मार्ग अपनाकर अपना संपूर्ण जीवन मानवता की सेवा हेतु समर्पित किया। 
 
5. सतनाम के प्रवर्तक गुरु, गुरु घासीदास का निधन सन् 1850 में हुआ था। उन्हें 19वीं सदी की शुरुआत में छत्तीसगढ़ के एक महान विद्वान, सतनाम धर्म के गुरु, सतनामी संत के रूप में जाना जाता है। तथा संत शिरोमणि बाबा घासीदास ने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया था। ऐसे महान समाज सुधारक बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन।
 
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