1. पाण्डुरंग अठावले जी ने स्वाध्याय के माध्यम से समामज में आत्म चेतना जगाने कार्य किया। अठावले ने वेदों, उपनिषदों तथा हिंदू संस्कृति की में निहित आत्मा के महत्व को जागृत करके सामाजिक रूपांतरण में उस ज्ञान तथा विवेक का प्रयोग सम्भव बनाया।
2. 1954 में पाण्डुरंग को शिम्त्सु जापान में 'दूसरा विश्व धर्म सम्मेलन' में भाग लेने का अवसर मिला था जहां पर उन्होंने भारतीय दर्शन, संस्कृति, धर्म और वैदिक ज्ञान पर पर व्याख्यान दिया था।