क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरुणसागरजी महाराज की 10 खास बातें

क्रांतिकारी राष्ट्रसंत के नाम से प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनिश्री तरुणसागरजी महाराज का 1 सितंबर 2018 को शनिवार तड़के निधन हो गया है। वे 51 साल के थे। तरुणसागरजी को 20 दिन पहले पीलिया हुआ था, इसके कारण वे बहुत कमजोर हो गए थे। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 खास बातें, जो लोगों को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।
 
 
1. जन्म और शिक्षा :
तरुणसागरजी का जन्म 26 जनवरी 1967 को मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गांव गुहांची में हुआ। उनका जन्म नाम पवन कुमार जैन है। पिता प्रतापचंदजी जैन और माता शांतिबाई जैन। इनकी शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई है।
 
 
2. दीक्षा और संन्यास :
13 वर्ष की आयु में उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा ली। इन्होंने 8 मार्च 1981 को गृह त्याग दिया और 18 जनवरी 1982 को मध्यप्रदेश के अलकतारा में आपने आचार्य प्रवर 108 श्रीपुष्पदंतसागरजी से दिगंबरी दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के बाद श्रीपुष्पदंतजी ने उनका नाम मुनि तरुणसागर रखा। 13 वर्ष की उम्र में संन्यास, 20 वर्ष में दिगंबर मुनि दीक्षा और 37 वर्ष में 'गुरु मंत्र दीक्षा' देने की नई परंपरा की शुरुआत की।
 
 
3. प्रवचनों की अनूठी शैली :
तरुणसागरजी को उनके प्रवचन कहने की भिन्न शैली और क्रांतिकारी विचारधाराओं के कारण जाना जाता है। कभी धीमे और कभी तेज आवाज में दिए जाने वाले उनके प्रवचनों का असर बहुत गहरा होता है। अपनी इस अनूठी शैली के कारण भी वे जाने जाते हैं। मालूम हो कि तरुणसागरजी महाराज के प्रवचनों का टीवी पर प्रसारण होता है। वे अपने प्रवचनों में कही बातों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
 
 
4. कड़वे प्रवचन :
तरुणसागरजी के प्रवचन में सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान छुपे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने सरकार से 2 बच्चों का नियम लागू करने का आग्रह किया था। उन्होंने मीडिया से कहा कि 2 से ज्यादा बच्चों वाले हर व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नीति सभी जातियों और धर्मों के लोगों पर लागू होनी चाहिए। इसी तरह के कई विवादित प्रवचनों के देने के कारण उनके प्रवचनों को 'कड़वे वचन' कहा जाता है। तरुणसागरजी ने 'कड़वे प्रवचन' के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की है जिसके लिए वे काफी चर्चित रहते हैं। इनके प्रवचन की वजह से इन्हें 'क्रांतिकारी संत' भी कहा जाता है।
 
 
5. विधानसभा में प्रवचन :
तरुणसागरजी देश के पहले ऐसे संत माने जाते हैं जिन्होंने किसी राज्य की विधानसभा में प्रवचन दिए हैं। हरियाणा विधानसभा में दिए गए उनके प्रवचन पर काफी विवाद भी हुआ था। जब हरियाणा सरकार पर आरोप लगा तो तरुणसागरजी ने कहा कि हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर पर आरोप लगा था कि उन्होंने राजनीति का भगवाकरण कर दिया है, लेकिन यह बात गलत है, क्योंकि उन्होंने भगवाकरण नहीं बल्कि राजनीति का शुद्धिकरण किया है। उनके प्रवचनों के कारण गीतकार विशाल ददलानी की टिप्पणी पर भी बवाल हुआ था। हालांकि विशाल को बाद में इसका खेद हुआ था और उन्होंने तरुणसागरजी से माफी भी मांगी थी।
 
 
6. राजकीय सम्मान : 
मध्‍यप्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2002 को उन्हें 'राजकीय अतिथि' का दर्जा दिया है। इसके बाद 2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने भी उन्हें 'राजकीय अतिथि' के सम्मान से नवाजा। मध्यप्रदेश सरकार ने 26 जनवरी 2003 को दशहरा मैदान, इंदौर में उन्हें 'राष्ट्रसंत' का दर्जा दिया।
 
 
7. कीर्तिमान :
आचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी द्वारा प्रदत्त मानद उपाधि 'प्रज्ञा श्रमण'। आचार्य भगवंत कुंदकुंद के पश्चात गत 2,000 वर्षों के इतिहास में मात्र 13 वर्ष की आयु में जैन संन्यास धारण करने वाले प्रथम योगी। इनके गुरु का नाम है युग संत आचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी मुनि। कहते हैं कि वे राष्ट्र के ऐसे प्रथम मुनि हैं जिन्होंने लाल किले से संबोधन दिया है। उन्होंने 33 वर्ष की उम्र में लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। 35 वर्ष की उम्र में उन्हें राष्ट्रसंत का दर्जा मिला। वे जैन धर्म के ऐसे संत हैं जिन्होंने जी टीवी के माध्यम से भारत सहित 122 देशों में 'महावीर वाणी' के विश्‍वव्यापी प्रसारण की शुरुआत की थी।
 
 
8. उपलब्धियां :
वे 'अहिंसा महाकुंभ' नाम से मासिक पत्रिका का संचालन करते हैं। 3 दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं और हर वर्ष उन पुस्तकों की लगभग 2 लाख प्रतियों का प्रकाशन होता है। 'तरुण क्रांति मंच' नामक संगठन का केंद्रीय कार्यालय दिल्ली में स्थित है जिसकी देशभर में इकाइयां हैं। तनाव मुक्ति के अभिनव प्रयोग 'आनंद यात्रा' कार्यक्रम के प्रणेता।
 
 
9. संथारा :
जैन धर्म में ऐसे कई संत हुए हैं जिन्होंने 'संथारा' का सहारा लेकर शांतिपूर्वक देह को त्याग दिया है। जैन धर्म में संथारा की एक प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया बुजुर्ग लोग तब अपनाते हैं जबकि उन्हें आभास होता है कि उनकी मौत नजदीक है, तो वे खाना-पीना छोड़ देते हैं। संथारा जैन धर्मशास्त्रों के मुताबिक उपवास के जरिए मौत प्राप्त करने की प्रकिया है। जैन धर्म में इसे 'मोक्ष प्राप्त करने की प्रक्रिया' माना जाता है।

 
10. टॉप कोटेशन :
1. अगर तुम्हारी वजह से कोई इंसान दु:खी रहे तो समझ लो ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है। ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दु:खी होकर आसूं बहाए तभी तुम्हें पुण्य मिलेगा।
 
2. गुलाब कांटों में भी हंसता है इसलिए लोग उससे प्रेम करते हैं। तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जाएं।
 
3. हंसने का गुण केवल मानवों को ही मिला है इसलिए जब भी मौका मिले मुस्कुराइए। कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता।
 
4. इंसान को आप दिल से जीतो तभी आप सफल हैं। तलवार के बल पर आप जीत हासिल कर सकते हैं लेकिन प्यार नहीं पा सकते हैं।
 
5. अपने अंदर इंसान को सहनशक्ति पैदा करनी चाहिए, क्योंकि जो सहता है, वो ही रहता है, जो नहीं सहता, वो टूट जाता है।
 
6. परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आपको बदल सकते हैं, आप पर आपका पूरा अधिकार है।
 
7. पूरी दुनिया को आप चमड़े से ढंक नहीं सकते हैं लेकिन आप अगर चमड़े के जूते पहनकर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढंक जाएगी, यही जीवन का सार है।
 
 
8. जिनकी बेटी न हो, उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी न हो वहां शादी करनी ही नहीं चाहिए और जिस घर में बेटी न हो उस घर से साधु-संत भिक्षा न लें।
 
9. राजनीति को हम धर्म से ही कंट्रोल कर सकते हैं। धर्म पति है, राजनीति पत्नी। हर पति की ये ड्यूटी होती है कि वो अपनी पत्नी को सुरक्षा दे, हर पत्नी का धर्म होता है कि वो पति के अनुशासन को स्वीकार करे। ऐसा ही राजनीति और धर्म के भी साथ होना चाहिए, क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई खुले हाथी की तरह हो जाता है।
 
 
10. तरुणसागरजी ने कहा था कि (राजनीति में) सुधार की प्रक्रिया ऊपर से शुरू होनी चाहिए। संसद और विधानसभाओं में बैठे 10,000 लोग खतरनाक हैं। 160 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं इसलिए वे नेताओं को प्रवचन देते हैं। ये राजनीति के शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। राजनीति में नीति का मतलब धर्म ही होता है। उसके बगैर राजनीति मदमस्त हाथी की तरह हो जाएगी।
 
11. लव जेहाद हिन्दू लड़कियों को मुसलमान बनाने का षड्यंत्र है। सरकार इसे पहचाने, नहीं तो एक और पाकिस्तान बन जाएगा। बेटियों को भागकर नहीं, जागकर शादी करनी होगी। यहां पैर के नीचे जब आप चींटी नहीं आने देती हों, तो विधर्मी के घर पकता मांस कैसे देख पाओगी? शादी की खुशी में अपने मां-बाप को शामिल करो।
 
 
12. चादर छोटी है तो पैर सिकोड़ना सीखो। आज आपके पुण्य की चादर छोटी है, पर इच्छाओं के पैर बड़े हैं। मन को वश में रखने की जरूरत है। घर में कई रूम होते हैं, लेकिन कंट्रोल रूम अवश्य होना चाहिए। अगर आपके घर का सदस्य कोई कंट्रोल के बाहर हो जाए तो उसे कंट्रोल रूम में भेज दो।
 
13. अंडे को शाकाहार बताना षड्यंत्र है, क्योंकि जब अंडा फेंका जाने लगा तो उसे शाकाहार कहने लगे।

14. राष्ट्रीय स्वंयसेवक जिस चमड़े की बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं वह अहिंसा के विपरीत है। उनके इस बयान के बाद आरएसएस ने अपनी ड्रेस से चमड़े की बेल्ट की जगह कैनवस की बेल्ट इस्तेमाल करनी शुरू कर दी थी।

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