समाज में फैल रहीं विभिन्न विकृतियों के संबंध में राष्ट्रीय संत मुनिश्री तरुणसागर महाराज कहते थे कि पथ भ्रमित हो चुके समाज को आज संस्कार, चरित्र से ज्यादा नीति शिक्षा की जरूरत है। दरअसल, व्यक्ति का भोजन ही नहीं विचार भी तामसिक हो चुके हैं, जिससे उसके दिलो-दिमाग में सिर्फ अपना स्वार्थ छाया रहता है। लिहाजा आज मंदिर नहीं, बल्कि विचारों के जीर्णोद्धार की जरूरत है।