Shiv Mantra : श्रावण मास का शुभारंभ हो चुका है और सावन में भगवान शिव का विशेष पूजन और मंत्रों का जाप किया जाता है। तथा भोलेनाथ भी अपने भक्त की पूजा से प्रसन्न होते हैं। मान्यतानुसार कोई भी शिवभक्त या श्रद्धालु जितना अधिक भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप कर लेता है, उतना ही उसके अंतकरण की शुद्धि होती जाती है एवं वह भगवान शिव के समीप होता जाता है। साथ ही उसके जीवन से दुख-दरिद्रता, रोग, शत्रुजनित पीड़ा तथा समस्त कष्टों का अंत होता जाता है।
आइए जानते हैं इस शिव मंत्र की महानता, महत्व और परिणाम :
महत्व: ॐ नमः शिवाय की उत्पत्ति उस समय हुई, जब भगवान शिव अग्रि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए तब उनके 5 मुख थे। जो पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। सर्वप्रथम जिस शब्द की उत्पत्ति हुई वह शब्द था ॐ था, बाकी 5 शब्द नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई, जिन्हें सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है यही महामंत्र है। पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' ही शिववाक्य है और यही शिवज्ञान भी कहा गया है।
जिस शिवभक्त के मन में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का निरंतर जाप चलता रहता है वह शिवस्वरूप हो जाता है। नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है।
'ॐ नमः शिवाय' मंत्र ही एक ऐसा विशेष मंत्र हैं, जिसकी जप संख्या निर्धारित नहीं है। लेकिन यह भी सत्य हैं कि आप इस मंत्र का जितना अधिक जाप करेंगे, वह उतना सिद्ध होता जाएगा और जीवन में चमत्कार का अनुभव होने लगेगा। यदि ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप पूर्वाभिमुख होकर एक मुखी रूद्राक्ष की माला से किया जाए तो अतिशीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है।
मंत्र जाप का प्रभाव :
- 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप आप प्रतिदिन 11 बार से लेकर 108 बार तक कर सकते हैं।
- लगातार 108 बार 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करने से मनुष्य को जीवन में बेहतरीन अनुभव मिलने लगता है।
- किसी भी विशेष इच्छा के लिए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप सोमवार के दिन करना चाहिए।
- यदि 27 दिन तक लगातार 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र की 1 माला प्रतिदिन जाप किया जाए तो एक तीर्थ दर्शन तथा एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
- सामान्यत: यदि आप 'ॐ नमः शिवाय' 108 मंत्र की 108 माला का जाप यदि कर लेते हैं तो यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और इसके चमत्कारिक प्रभाव मिलने लगते हैं।
परिणाम :
- यह मंत्र शिवज्ञान होने के कारण जिसके मन में यह पंचाक्षरी मंत्र निरंतर रहता है वह शिवस्वरूप हो जाता है। उसको मृत्यु नहीं, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- भोग और मोक्ष देने वाला यह मंत्र जपने वाले के समस्त व्याधियों को शांत कर देता है।
- मान्यतानुसार यमराज ने अपने दूतों को यह आदेश दिया हैं कि इस मंत्र के जाप करने वाले के पास कभी मत जाना।
- इस मंत्र का जाप करने वाले के पास कभी भी बाधाएं नहीं आती।
- पंचाक्षरी मंत्र के जाप से सभी मनोरथों की सिद्धि होती है।
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