इंदौर (मध्यप्रदेश)। शासकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने बुधवार को दावा किया कि इंदौर और ऋषिकेश में 2 यात्री ट्रेनों (passenger trains) के भीतर अलग-अलग टुकड़ों में मिले महिला के शव की पहचान हो गई है। हालांकि महिला की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए जीआरपी की कवायद जारी है।
जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि महिला के दोनों हाथ और दोनों पैर ऋषिकेश में एक यात्री ट्रेन में 10 जून को मिले थे जबकि उसके शरीर के बाकी हिस्से उत्तराखंड की इस धार्मिक नगरी से करीब 1,150 किलोमीटर दूर इंदौर में एक अन्य यात्री ट्रेन से 9 जून को बरामद किए गए थे।
महिला की पहचान मीरा (35) के रूप में हुई : जीआरपी की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक संतोष कोरी ने बताया कि नृशंस हत्याकांड की शिकार महिला की पहचान मीरा (35) के रूप में हुई है। वह रतलाम जिले के बिलपांक थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। उन्होंने बताया कि मीरा विवाहित थी और उसकी 2 बेटियां भी हैं।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि 35 वर्षीय महिला पति से झगड़े के बाद 6 जून को अपने घर से चली गई थी और खोजे जाने पर उसका कोई पता नहीं चलने के बाद उसके परिवार ने 12 जून को बिलपांक पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
हत्या के संदिग्धों की जांच जारी : कोरी ने बताया कि महिला की हत्या के संदिग्धों से पूछताछ के साथ ही विस्तृत जांच जारी है। जीआरपी इस हत्याकांड में पक्का सुराग देने वाले व्यक्ति को 10,000 रुपए का इनाम देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि युवती के हाथ पर हिन्दी की देवनागरी लिपि में 'मीरा बेन' और 'गोपाल भाई' गुदा मिला था। कोरी ने बताया कि हमें पता चला है कि गोपाल दरअसल मीरा के सगे भाई का नाम है। रतलाम क्षेत्र में एक समुदाय में लड़कियों के हाथ पर उनके नाम के साथ उनके भाई का नाम गुदवाने की परंपरा है।
जीआरपी थाना प्रभारी संजय शुक्ला ने बताया कि उनकी जुटाई जानकारी के मुताबिक इस साल राज्यभर में मीरा नाम की 39 महिलाएं लापता हुई हैं। रतलाम जिले की निवासी मीरा के भाई के नाम (गोपाल) के साथ ही महिला के हुलिए और आभूषणों के आधार पर उसके शव की पहचान की गई। हालांकि हम पहचान की पुष्टि के लिए डीएनए जांच भी करा रहे हैं।