इंदौर में हरेभरे पेड़ों की कटाई का असंवेदनशील काम जारी है। हाल ही में प्रशासन ने हुकुमचंद मिल एरिया का पूरा जंगल काटने का फैसला किया, जिसके खिलाफ इंदौर में जमकर विरेाध हो रहा है। अब विजयनर में कदंब के पेड़ों की कटाई कर डाली और प्रशासन का कहना है कि उन्हें इस बारे में पता ही नहीं। बता दें कि इंदौर में मेट्रो परियोजना के लिए हजारों पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं।
इंदौर के विजयनगर क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। शनिवार देर रात काटे गए पेड़ों के तने रविवार सुबह नागरिकों को नजर आए। सुबह जेसीबी से पेड़ों के तने और अन्य हिस्से हटाए गए। रात में ये पेड़ लहलहा रहे थे, सुबह लोगों ने देखा तो सिर्फ ठूंठ नजर आ रहे थे। सुबह की सैर पर निकले लोगों ने जब बड़ी संख्या में सड़कों पर कटे हुए पेड़ों को देखा तो उनका सिर चकरा गया।
प्रशासन को भनक तक नहीं : बता दें कि कदंब के पेड़ बेहद खूबसूरत थे। बीती रात इंदौर के सबसे व्यस्ततम विजय नगर चौराहे पर वर्षों पुराने और कदंब के फूलों से सराबोर रहने वाले कई पेड़ों को काट दिया गया। इंदौर नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने नहीं कटवाए। पुलिस थाना के ठीक सामने स्थित इन 30 फीट के लम्बे पेड़ों को कोई आधी रात काटकर ले गया और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इन सबके बावजूद जिम्मेदारों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। विजयनगर क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों का कहना है कि लगातार कट रहे पेड़ों की वजह से इंदौर में भीषण गर्मी बढ़ रही है, सावन के महीने में भी पानी नहीं गिर रहा और बसंत का मौसम तो खत्म ही हो गया है। अगर इसी तरह चलता रहा तो इंदौर में जल्द ही पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा।
मेट्रो के लिए हजारों पेड़ काटे गए : बता दें कि इंदौर में चल रहे मेट्रो के काम के कारण हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है। सुपर कारिडोर से बापट, विजय नगर और बंगाली चौराहे तक हजारों पेड़ों को काटा गया है और लगभग पूरा क्षेत्र ही पेड़ विहीन होता जा रहा है। आज मंगल सिटी मॉल के आसपास के क्षेत्र में यह पेड़ काटे गए। बताया जा रहा है कि मेट्रो स्टेशन की तैयारी को लेकर इन पेड़ों को काटा गया है। मेट्रो का काम विजयनगर तक लगभग पूरा हो गया है और उम्मीद की जा रही है कि अगले 6 महीने के अंदर मेट्रो विजयनगर तक चलना शुरू हो जाएगी। लेकिन इसके लिए पेड़ों की कटाई कितनी सही है, जिन पर हजारों पक्षी रहते थे और गर्मी के दिनों राहत बनकर खडे रहते थे।
Edited By: Navin Rangiyal