मध्यप्रदेश में बेखौफ होकर बच्चों को मौत की दवा लिखी जा रही है। बावजूद इसके कि प्रदेश में 22 बच्चों की मौत हो चुकी है, शुक्रवार को एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें डॉक्टर ने 1 साल के बच्चे को प्रतिबंधित कॉम्बिनेशन सीपीएम और पीपीई का कॉम्बिनेशन लिख डाला। हैरान करने वाली बात तो यह है कि यह दवाई सरकारी अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर ने बकायदा अस्पताल के लेटरहेड पर लिखकर प्रिस्क्राइब की है। वेबदुनिया को एक्सक्लूसिवली यह खबर अपनी पड़ताल के दौरान हाथ लगी। बता दें कि इसी ड्रग कॉम्बिनेशन की वजह से 33 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश में बवाल मचा रहा है।
दरअसल, यह जानलेवा कारनामा किया है प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर के सरकारी श्रीप्रकाशचंद सेठी अस्पताल के डॉक्टर ने। ड्यूटी डॉक्टर ने सर्दी-खांसी और एलर्जी से पीड़ित 1 साल के बच्चे को सिनारिस्ट एएफ (Sinarest – AF) नाम का ड्रॉप लिखा है, जो कि सीपीएम और पीपीई का कॉम्बिनेशन ड्रग है। सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक यह कॉम्बिनेशन 4 साल से छोटे बच्चे को नहीं दी जा सकती, यानी कोई डॉक्टर यह दवा 4 साल से छोटे बच्चे को लिखकर नहीं दे सकता, लेकिन श्रीप्रकाशचंद सेठी अस्पताल के डॉक्टर ने यह कारनामा कर दिया।
वेबदुनिया के पास एक साल के बच्चे के परिजन को लिखकर दिया गया श्रीप्रकाशचंद सेठी अस्पताल का प्रिस्क्रिब्शन मौजूद है। इस बारे में चर्चा के लिए इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा को कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
एक साल के बच्चे को लिख दिया जहरीला कॉम्बिनेशन : हैरान करने वाली बात है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन के बाद 33 बच्चों की मौत ने पूरे देश में हड़कंप मचा रखा है, लेकिन इंदौर में श्रीप्रकाश चंद्र सेठी शासकीय सिविल अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर ने 10 अक्टूबर 2025 को वही ड्रग कॉम्बिनेशन वाला सिनारेस्ट एएफ (Sinarest – AF) ड्रॉप बच्चे के लिए लिख दिया। इस बच्चे की उम्र 1 साल है और यह इंदौर के मूसाखेड़ी इलाके का रहने वाला है। प्रिस्क्रिब्शन पर बकाया बच्चे की उम्र, नाम और पता लिखा है और सिनारेस्ट एएफ के साथ ही नाक में डालने के लिए एक अन्य दवाई भी लिखी है। 10 अक्टूबर 2025 की तारीख के साथ इसमें बकायदा डॉक्टर के हस्ताक्षर वाला पर्चा वेबदुनिया के पास मौजूद है।
जेनरिक की बजाए लिखा ब्रांड नेम : इतना ही नहीं, नियमों के मुताबिक डॉक्टर को मरीज के प्रिस्क्रिब्शन में दवा का जेनरिक नाम लिखना जरूरी है, जबकि इस पर्चे में डॉक्टर ने ब्रांड नेम से दवाई लिख रखी है। नियमों में साफ उल्लेख किया गया है कि कोई भी डॉक्टर ब्रांड नेम से दवाई नहीं लिख सकता है। उसे सिर्फ जेरनिक नाम का ही उल्लेख करना है। लेकिन यहां भी प्रकाशचंद्र सेठी अस्पताल के डॉक्टर ने नियमों को अनदेखा किया है।
एमजीएम के डीन डॉक्टर अरविंद घनघोरिया से बात करने पर उन्होंने बताया कि यह अस्पताल सीएमएचओ के अंडर आता है, उन्हें बता दीजिए, मैं भी इस मामले का संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से बात करता हूं।
क्या कहा सीएमएचओ ने? मुझे दस्तावेज भेजिए, मैं विभागीय कार्रवाई करता हूं : स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ माधव प्रसाद हसानी से वेबदुनिया ने चर्चा कर इस पूरे कारनामे के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मेरे पास इस तरह की जानकारी नहीं है। इस पर वेबदुनिया ने उन्हें अपने पास डॉक्टर का लिखा पर्चा जिसमें लिखी गई दवाई, बच्चे का नाम और उम्र आदि दर्ज है होने की बात कही। इस पर सीएमएचओ श्री हसानी ने कहा कि आप मुझे प्रिस्क्रिब्शन भेज दीजिए, मैं कागज देखकर पता करता हूं कौन डॉक्टर था और विभागीय कार्रवाई शुरू करता हूं।
क्या कहते है शिशुरोग विशेषज्ञ? यह कॉम्बिनेशन 4 साल से कम बच्चों को नहीं देने की गाइडलाइन है : हुकुमचंद अस्पताल में चाइल्ड स्पेशलिस्ट और पूर्व सीएमएचओ डॉ प्रवीण जड़िया ने बताया कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की क्लियर कट गाइडलाइन है कि सीपीएम और पीपीई का कॉम्बिनेशन 4 साल से बच्चों को कतई नहीं दिया जा सकता। ज्यादातर दवाइयों में यह कॉम्बिनेश होता है। अगर किसी डॉक्टर ने यह दवाई 1 साल के बच्चे के लिए लिखी है तो यह बिल्कुल गलत है।
एमपी फॉर्मासिस्ट ऐसोसिएशन की सर्तकता से हुआ खुलासा : दरअसल, कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद मध्यप्रदेश में एमपी फॉर्मासिस्ट ऐसोशिएशन नकली दवाओं और नियमों के उल्लघंन की रोकथाम के को लेकर सतर्क हो गया है। इसी सतर्कता के दौरान यह पूरी जानकारी वेबदुनिया के इस प्रतिनिधि को एसोशिएशन द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। इस संगठन से जुड़े एक जागरूक मेडिकल स्टोर संचालक ने इस पड़ताल में वेबदुनिया का सहयोग किया है।