पद्मेश ने कहा कि संख्या के आधार पर चीनी भाषा मंदारिन सबसे आगे है, जबकि स्पेनिश, अंग्रेजी, और हिन्दी क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। हालांकि बाद की तीनों भाषाओं में मात्र एक फीसदी का अंतर है, जबकि चीनी भाषा में 10 प्रतिशत का अंतर है। अत: इस दिशा में प्रयास करना होगा कि हिन्दी तेजी से दुनिया में आगे बढ़े।