इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017 (18:15 IST)
इंदौर। शहर में आयोजित तीन दिवसीय इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ रागिनी मक्खर की शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति और अतिथियों के दीप प्रज्ज्‍वलन से हुआ। इस अवसर पर करीब 400 बच्चे आकर्षण का केन्द्र रहे।
 
 
शुभारंभ सत्र में प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुद्‍गल ने कहा कि साहित्य पीछे छूटता जा रहा है। इस पर सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इतिहास और भूगोल लिखने वाला लेखक होता है और साहित्य लिखने वाला भी लेखक होता है। इतिहास में राजे-रजवाड़ों की बात होती है। उसमें आम आदमी की बात नहीं होती।
 
उन्होंने कहा कि जिस दिन से साहित्य का सृजन शुरू हुआ, तब जन-जन की बात हुई। तब लोगों ने महसूस किया मैं भी इस लोक का हिस्सा हूं। साहित्यकार रघुवीर चौधरी ने कहा कि साहित्य अकेला साहित्य नहीं होता। साहित्य सर्वसमावेशी है। कलामों के बिना साहित्य की बात नहीं की जा सकती। 
हिन्दी बनेगी माथे की बिन्दी : 'हिन्दी बनेगी माथे की बिन्दी' विषय पर बोलते हुए ऑक्सफोर्ड बिजनेस कॉलेज लंदन के निदेशक पद्मेश गुप्ता ने कहा कि यह प्रयास होना चाहिए कि दुनिया में ज्यादा से ज्यादा लोग हिन्दी बोलें, पढ़ें और समझें। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि हिन्दी का वैश्वीकरण कैसे हो।

पद्‍मेश ने कहा कि संख्या के आधार पर चीनी भाषा मंदारिन सबसे आगे है, जबकि स्पेनिश, अंग्रेजी, और हिन्दी क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। हालांकि बाद की तीनों भाषाओं में मात्र एक फीसदी का अंतर है, जबकि चीनी भाषा में 10 प्रतिशत का अंतर है। अत: इस दिशा में प्रयास करना होगा कि हिन्दी तेजी से दुनिया में आगे बढ़े। 
 
कार्यक्रम के दौरान मस्ती की पाठशाला के नाम से आयोजित वर्कशाप में ड्रामेबाज कंपनी नई दिल्ली की गरिमा आर्य, कमलेश्वर वर्मा आदि ने पपेट्‍स एवं मपेट्‍स शो के जरिए बच्चों के लिए शैक्षणिक कहानियों का मंचन किया।
इस कार्यक्रम का विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने खूब आनंद ‍उठाया। इस मौके पर तो कई बच्चे ऐसे थे जो पहली बार इस तरह के कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत में पूजा गायतोंडे ने पधारो म्हारे देस गाने की खूबसूरत प्रस्तुति दी। आयोजक प्रवीण शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर देशभर से आए लेखक और साहित्यकार मौजूद थे।

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