उन्होंने अपने जमीनी अनुभवों को साझा करते हुए कहा और उन्होने अपने पति स्वर्गीय जिम्मी मगिलिगन दोनों ने बहाई पायनियर के रूप मे सेवा देने वाले इंदोर को अपनी कर्म भूमि बनाया और उन्होंने मिलकर, अपना जीवन आदिवासी समुदायों, सामाजिक, आर्थिक विकास को समर्पित रहा। डॉ. जनक ने ग्रामीण आदिवासी समुदायों में अपने काम, अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य यात्रा और नो. वेस्ट वेडिंग संस्कृति को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों सहित सतत विकास के लिए अपनी आजीवन प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी को वैश्विक रूप से सोचने, स्थानीय रूप से कार्य करने और खुद से शुरुआत करने के लिए प्रोत्साहित किया।