उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंदजी ने अपने शिष्यों को भारत मां की निर्धन और असहाय संतानों की ईश्वर भाव से सेवा का विशेष आग्रह किया था और त्याग तथा सेवा को ही भारत के राष्ट्रीय आदर्श बताया था। इस सेवा कार्य में रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी निर्विकारानंद, स्वामी महातीर्थानंद के सान्निध्य में अंकित, भवान, राकेश, विनायक, पृथ्वीराज, आशुतोष, संस्कार, जयंत, संजू, भूपेंद्र, सुनील और अन्य भक्तगण सम्मिलित हुऐ।