धरती के भीतर बेशकीमती रंगबिरंगे रत्न जवाहरात हैं, इन रत्नों को उनके वास्तविक स्वरूप में देखने पर पता चलता है कि प्रकृति के पास कितने खूबसूरत अभिनव रंग है। इन्हीं वास्तविक रत्नों के अनगढ़ लेकिन कलात्मक रंग संयोजन से प्रेरित होकर मैंने अपनी कलाकृतियां रची हैं।
उक्त बात युवा आर्टिस्ट जिल मिश्रा ने अपनी दो दिवसीय आर्ट एक्जीबिशन यूटोपिया के दौरान कही। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी कलाकृतियां एक विशेष फॉर्म में रची गई हैं। इन्हें तैयार करने में कलाकार को पूरे मनोयोग से जुटना पड़ता है और रेगजीन मिक्स ये आर्ट बनाने में समय भी लेता है लेकिन अगर कलाकार की प्रकृति के प्रति गहरी आस्था हो, कला के प्रति समर्पण हो तो यह सब आसानी से संभव है।
कलाकार जिल कहती हैं कि जरूरी नहीं कि बेशकीमती रत्नों को ही उनके वास्तविक रूप में देखा जाए, कभी आप सुदूर पहाड़ियों पर, समंदर किनारे, नदी के तट पर यूं ही बिखरे हुए पत्थरों को तोड़ कर देखिए, उन के भीतर की परतों को समझिए, उसमें बहुत से रंग और रेखाएं दिखाई देंगी बस वहीं से प्रेरित होकर मैंने अपनी कला को एक खास शैली में अभिव्यक्त किया है। प्रकृति के वे रंग मैंने चुने हैं जो आमतौर पर दिखाई नहीं देते हैं उन्हें अपने अंतर्मन की दृष्टि से देखना होता है।