मणिपुर में प्रशासन की ओर से इंफाल घाटी के 5 जिलों में निषेधाज्ञा लागू करने और इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के बावजूद मेइती संगठन के नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में रविवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। गिरफ्तारी के विरोध में 10 दिन के बंद का ऐलान किया गया। अधिकारियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए इंफाल पश्चिम जिले के उरीपोक और कोइरेंगेई तथा इंफाल पूर्व के खुरई में सड़कों पर टायर जलाए। कोइरेंगेई में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों की आवाजाही रोकने के लिए सड़कें खोद दीं तथा मुख्य मार्गों पर मिट्टी के ढेर लगा दिए। मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
असम के पड़ोसी जिरीबाम जिले में भी इसी तरह का प्रदर्शन किया गया। मेइती संगठन अरम्बाई टेंगोल के नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद शनिवार रात से इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जबकि इन घाटी क्षेत्रों में वीएसएटी तथा वीपीएन सुविधाओं सहित इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने राज्य भर में हो रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर रविवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा को लेकर समीक्षा बैठक की।
राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की, जिन्होंने भल्ला को पूर्वोत्तर राज्य की मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति से अवगत कराया। कम से कम 20 विधायकों के प्रतिनिधिमंडल में भाजपा और कांग्रेस के विधायक शामिल थे। राज्यपाल से मुलाकात के बाद एक विधायक ने बताया कि हिंसा की पिछली घटनाओं के सिलसिले में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसके कारण शनिवार से पूर्वोत्तर राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। लामलाई निर्वाचन क्षेत्र के विधायक इबोम्चा ने कहा कि बैठक के दौरान हमें बताया गया कि पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और उनमें से एक कानन सिंह को सीबीआई ने एक मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। हम हाल ही में आई बाढ़ के दौरान अरम्बाई टेंगोल द्वारा निभाई गई भूमिकाओं की सराहना करते हैं।
सीबीआई ने इंफाल एयरपोर्ट से किया गिरफ्तार
प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा विधायक के. इबोम्चा ने बताया कि गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में से एक को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पकड़ा है। सीबीआई ने कहा कि उसने 2023 में मणिपुर हिंसा से संबंधित विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए रविवार को इंफाल हवाई अड्डे पर अरम्बाई टेंगोल के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है, जबकि पुलिस ने चार अन्य के बारे में जानकारी नहीं दी। सीबीआई के एक बयान में कहा गया है कि उसे इंफाल से गुवाहाटी लाया गया है और पुलिस हिरासत में लेने के लिए सक्षम अदालत में पेश किया जाएगा।
NIA ने गिरफ्तार किए 3 उग्रवादी
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने पिछले साल जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा बलों पर हुए जानलेवा हमले से संबंधित एक मामले में तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। इस हमले में दो पुलिस कमांडो मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।
उन्होंने बताया कि तीनों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 17 जनवरी, 2024 को तेंगनौपाल जिले के मोरेह में इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) चौकी और सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाई, साजिश रची और उसे अंजाम दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि गिरफ्तार आरोपियों में तेंगनौपाल जिले का निवासी और कुकी इंपी तेंगनौपाल (केआईटी) विद्रोही समूह का सदस्य थांगमिनलेन मेट भी शामिल है।
इसमें कहा गया है कि उसने हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच एजेंसी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उसे 19 मई, 2025 को असम के सिलचर से पकड़ा गया और गुवाहाटी में एनआईए अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे 28 मई तक हिरासत में भेज दिया। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में गुवाहाटी केंद्रीय कारागार में बंद है।
बयान में कहा गया है कि अन्य आरोपी, कुकी नेशनल आर्मी (केएनए) के सदस्य कामगिनथांग गंगटे और चुराचांदपुर जिले के ग्राम स्वयंसेवक समूह से जुड़े हेनटिनथांग किपगेन उर्फ थांगनेओ किपगेन को 5 जून को इंफाल से गिरफ्तार किया गया।
इसमें कहा गया कि उन्हें ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें गुवाहाटी में एनआईए की विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए नौ जून तक ट्रांजिट रिमांड प्रदान की। दोनों उस टीम का हिस्सा थे, जिसने घातक हमले को अंजाम दिया था।
राज्य के लोगों के प्रति पीएम मोदी असंवेदनशील
कांग्रेस ने मणिपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा की घटनाएं फिर से सामने आने के बीच रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्य के लोगों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मणिपुर के लोगों का दर्द, पीड़ा और लाचारी अब भी थमने का नाम नहीं ले रही है, क्योंकि पिछले 24 घंटे में राज्य के पांच जिले इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्वी, थौबल, काकचिंग और बिष्णुपुर फिर से हिंसा की चपेट में आ चुके हैं।
भाजपा ने हासिल किया बहुमत
सरकार पर निशाना साधते हुए रमेश ने दावा किया कि फरवरी 2022 में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अकेले अपने दम पर बहुमत हासिल किया। लेकिन उस जनादेश के महज पंद्रह महीने बाद, तीन मई 2023 की रात से मणिपुर को जलने के लिए छोड़ दिया गया। सैकड़ों निर्दोष पुरुष, महिलाएं और बच्चे मारे गए। हजारों लोग विस्थापित हो गए। पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया।
जांच आयोग की नहीं आई रिपोर्ट
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 4 जून 2023 को तीन-सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया। उन्होंने कहा कि आयोग को अपनी रिपोर्ट देने के लिए बार-बार समय-सीमा बढ़ाई गई है और उसे दी गई अंतिम समय-सीमा 20 नवंबर 2025 है। रमेश ने कहा कि एक अगस्त, 2023 को उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि “राज्य में पिछले दो महीनों से संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।”
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री ने मणिपुर का दौरा किया, जबकि प्रधानमंत्री ने पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी तथा कुछ भी कहने या राज्य के किसी भी व्यक्ति से मिलने से इनकार कर दिया। रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से राष्ट्रपति शासन की मांग की थी, लेकिन इसे तब तक नजरअंदाज किया गया जब तक कि कांग्रेस ने 10 फरवरी 2025 से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा नहीं कर दी। भाजपा ने नौ फरवरी की रात सच्चाई को भांपते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा दिलवाया और अंततः 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। रमेश ने कहा, हालांकि राष्ट्रपति शासन से कोई फर्क नहीं पड़ा है।
पीएम मोदी कब जाएंगे
उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि राज्यपाल को भी इम्फाल हवाई अड्डे से अपने आवास तक हेलीकॉप्टर से जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य के कई हिस्सों में कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने का समय कब मिलेगा? उनकी प्रशंसा मंडली ने कभी दावा किया था कि उन्होंने यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध रुकवा दिया था। यह दावा भी बाकी तमाम दावों की तरह खोखला साबित हुआ।
कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया, "प्रधानमंत्री दुनियाभर की यात्राएं करते रहे हैं, देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर उद्घाटन करते रहे हैं- लेकिन मणिपुर के किसी राजनीतिक प्रतिनिधि या नागरिक समाज संगठनों से उन्होंने कभी मुलाकात नहीं की। उन्होंने राज्य के मामलों के प्रबंधन का काम केंद्रीय गृह मंत्री को सौंपा, जो इसमें पूरी तरह विफल रहे हैं।"
रमेश ने पोस्ट में कहा कि एक फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री की मणिपुर की जनता के प्रति यह असंवेदनशीलता वाकई चौंकाने वाली है और समझ से परे है। प्रधानमंत्री पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं, जबकि मणिपुर के लोग अब भी उनकी उपेक्षा और संवेदनहीनता की कीमत चुका रहे हैं। यह सिर्फ मणिपुर या पूर्वोत्तर क्षेत्र की नहीं, बल्कि पूरे देश की पीड़ा है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma